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    जब दिल्ली में हो गया था सांपों का आतंक, मारने पर मिलते थे पैसे! ये है ‘कोबरा इफेक्ट’ की कहानी

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    ‘कोबरा इफेक्ट’ एक टर्म है. यह किसी समस्या के समाधान के लिए सुझाए गए ऐसे उपाय के लिए इस्तेमाल होता है, जो मौजूदा समस्या को और ज्यादा बदतर बना देता है. खासकर तक जब किसी संकट से उबरने के लिए पैसा दिया जाए और उस प्रोत्साहन राशि या रिवार्ड के लिए लोग समस्या को खत्म करने के बजाय उसे बरकार रखते हैं या बढ़ा देते हैं. 

    अब सवाल उठता है कि यह ‘कोबरा इफेक्ट’ टर्म आया कहां से? इसके पीछे एक रोचक और दिलचस्प कहानी है.  फोर्ब्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक,  ‘कोबरा इफेक्ट’ के बारे में  नील दोशी और लिंडसे मैकग्रेगर की किताब ‘प्राइम्ड टू परफॉर्म’ में डिटेल जानकारी दी गई है. वहीं इस इफेक्ट के जन्म की कहानी भी बताई गई है. 

    दिल्ली में बढ़ने लगी थी जहरीले सांपों की संख्या
    किताब में उस समय की एक कहानी की चर्चा है, जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था. जब अंग्रेज भारत पर राज कर रहे थे तो दिल्ली में काफी ज्यादा जहरीले नाग (कोबरा सांप) पाए जाते थे. जहां-तहां ये जहरीले सांप निकलते रहते थे और लोगों को काट लेते थे. इससे अंग्रेज काफी परेशान थे. 

    सांपों को मारने पर अंग्रेजों ने की इनाम की घोषणा
    इन कोबरा सांप से अंग्रेजों को बहुत डर लगता था. ब्रिटिश सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए एक फैसला लिया. अंग्रेज अधिकारियों ने घोषणा कर दी कि, जो भी कोबरा सांप को मारकर लाएगा, उसे इनाम दिया जाएगा. इसके बाद दिल्ली में मरे हुए कोबरा सांप लाने वाले लोगों का तांता लग गया. क्योंकि सांप मारकर जमा करने से उन्हें पैसा मिलता था. 

    अंग्रेजों की इस स्कीम का हुआ उल्टा असर
    अंग्रेजों ने सांपों से छुटकारा पाने के लिए यह उपाय निकाला तो जरूर, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया. क्योंकि उन्होंने ये सोचकर यह स्कीम शुरू की थी कि कुछ दिनों में सारे सांप मर जाएंगे और फिर इसे बंद कर दिया जाएगा. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. दिल्ली के सैकड़ों लोग हर दिन सांप मार-मारकर लाने लगे. 

    दिल्ली के लोग पालने लगे सांप
    फिर कुछ लोगों ने सांपों को खोजकर उसे मारने से अच्छा सांप पालना शुरू कर दिया. ऐसे में दिल्ली में कई कोबरा पालक हो गए और उन्हें यह फायदे का सौदा लगने लगा. सांपों को खोजकर मारने से आसान था इसे पालना और आराम से मारकर इससे पैसे कमाना. जब सांपों को मारकर इसे जमा करने का सिलसिला लंबे समय तक चलता रहा तो अंग्रेज अधिकारियों को शक हुआ. 

    स्कीम बंद होने पर लोगों ने घर से बाहर सड़कों पर छोड़ दिए सांप 
    अंग्रेजों ने इसकी जांच शुरू की. तब पता चला कि सांपों को खत्म करने के लिए प्रोत्साहन देने की राशि का असर उल्टा पड़ गया था. क्योंकि लोगों ने पैसों के लिए सांपों को पालना शुरू कर दिया था. इस वजह से ये समस्या कभी खत्म होने वाली नहीं थी. इसलिए अंग्रेजों ने सांपों के बदले पैसे देने की स्कीम बंद कर दी.

    फिर लोगों ने सांप पालना भी बंद कर दिया और उन्हें सड़कों पर या अपने घर से बाहर छोड़ दिया. इससे दिल्ली में सांपों की संख्या पहले से भी ज्यादा हो गई और इसका आंतक पहले से ज्यादा बढ़ गया. 

    इसे कहा जाता है ‘कोबरा इफेक्ट’
    इसलिए जब किसी समस्या के समाधान के लिए प्रोत्साहन राशि या रिवार्ड दिया जाता है और लोग फिर पैसों के लिए उस समस्या की वजह बनाए रखते हैं. इस कारण समस्या कभी खत्म नहीं होती, बल्कि बढ़ती ही जाती है. तब इस स्थिति को ‘कोबरा इफेक्ट’ कहा जाता है.

    —- समाप्त —-



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