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    सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर: आरोपियों के बरी होने के खिलाफ HC में अपील, दो हफ्ते बाद फिर होगी सुनवाई

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    Sohrabuddin Sheikh Encounter Case: गुजरात के सोहराबुद्दीन अनवर हुसैन शेख एनकाउंटर मामले में पुलिसकर्मियों और अन्य को बरी किए जाने के खिलाफ मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की पीठ के समक्ष एक अपील सुनवाई के लिए आई है.

    साल 2019 में दायर अपील में आरोपियों को बरी किए जाने को चुनौती दी गई थी, जिस पर अधिवक्ता गौतम तिवारी ने तर्क दिया कि यह अपील सोहराबद्दीन के भाइयों द्वारा दायर की गई है. पीठ ने गौतम तिवारी से अपील में दी गई चुनौतियों को स्पष्ट रूप से बताने को कहा है और दो सप्ताह में इस पर फिर से सुनवाई की जाएगी. इस दौरान अदालत ने पुलिस और जांच एजेंसी से इस मामले में कई सवाल भी पूछे हैं.

    आपको बता दें कि 26 नवंबर, 2005 को हुए सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामला भारत के सबसे विवादास्पद ‘फर्जी एनकाउंटर’ मामलों में से एक है, जो गुजरात पुलिस पर लगे आरोपों से जुड़ा है. यह मामला साल 2005 में शुरू हुआ और इसमें अपराधी सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बानो (कौसर बी) और उसके सहयोगी और चश्मदीद तुलसीराम प्रजापति की हत्या का आरोप है. पुलिस ने इसे आतंकवादी एनकाउंटर बताया था, लेकिन जांच में यह फर्जी साबित हुआ. और यह मामला राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील माना जाता है.

    सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर के बाद उसकी पत्नी कौसर बी और चश्मदीद तुलसीराम को भी मौत के घाट उतार दिया गया था. इस सिलसिले में तीनों की मौत की टाइमलाइन कुछ इस तरह से थी- 

    22-23 नवंबर 2005
    CBI चार्जशीट के अनुसार, हैदराबाद से महाराष्ट्र की ओर जा रही बस को गुजरात ATS पुलिस ने रोका. फिर उसमें सवार सोहराबुद्दीन, कौसर बी और तुलसीराम प्रजापति को अगवा कर लिया था. हालांकि पुलिस ने उस वक्त तीनों को हिरासत में लेने की बात कही थी. तुलसीराम को अहमदाबाद भेजा गया, जहां से राजस्थान पुलिस उसे उदयपुर ले गई. सोहराबुद्दीन और कौसर बी को अहमदाबाद के पास दिशा फार्महाउस ले जाया गया. 

    26 नवंबर 2005
    अहमदाबाद के पास विशाला सर्कल पर गुजरात-राजस्थान पुलिस की संयुक्त टीम ने एनकाउंटर में गोली मारकर सोहराबुद्दीन की हत्या कर दी. इसके बाद पुलिस ने दावा किया कि सोहराबुद्दीन LeT आतंकवादी था और सीएम की हत्या की साजिश रच रहा था. पोस्टमॉर्टम के दौरान उसके जिस्म से 11 गोलियां निकाली गईं थीं.

    29 नवंबर 2005
    इसके बाद पति की मौत के ग़म डूबी कौसर बी को एक फार्महाउस पर रेप के बाद मौत के घाट उतार दिया गया. उसकी लाश को जलाकर निपटाया गया था. हालांकि उस वक्त पुलिस ने दावा किया था कि कौसर बी भागने की कोशिश की और वह मारी गई.

    दिसंबर 2005
    सोहराबुद्दीन शेख के भाई रुबाबुद्दीन शेख ने इस मामले को लेकर CJI को पत्र लिखा और उसके भाई के फर्जी एनकाउंटर का आरोप लगाया. साथ ही कौसर बी के ठिकाने की जानकारी मांगी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात CID को इस मामले की जांच सौंपी.

    26-28 दिसंबर 2006
    सोहराबुद्दीन हत्याकांड का एक मात्र गवाह था तुलसीराम प्रजापति. गुजरात-राजस्थान पुलिस उसे उदयपुर जेल से निकाल कर ले गई और गुजरात-राजस्थान बॉर्डर पर सरहद चापरी के पास उसे एनकाउंटर में मार डाला. वहां भी पुलिस ने दावा किया कि तुलसीराम भाग रहा था.
    मुख्य ट्रायल और फैसला
    21 दिसंबर 2018 को मुंबई की स्पेशल CBI कोर्ट ने सभी 22 आरोपी (21 पुलिसकर्मी + 1 फार्महाउस मालिक) को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था. जज एसजे शर्मा ने कहा था, ‘साजिश साबित नहीं हुई. अभियोजन असफल रहा.’ रुबाबुद्दीन शेख ने इस फैसले पर दुख जताया था और फिर अपील करने का फैसला किया.

    इसके बाद सोहराबुद्दीन के भाई रुबाबुद्दीन ने साल 2019 में बॉम्बे हाईकोर्ट में अपील दायर की. हाईकोर्ट ने अपील को स्वीकार किया. लेकिन अभी तक इस मामले में कोई अंतिम फैसला नहीं आया है. मामला लंबित है, और CBI ने भी अपील पर विचार किया था, लेकिन केस में कुछ नई बात नहीं निकली. और अब मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की पीठ के समक्ष एक अपील सुनवाई के लिए आई है.

    —- समाप्त —-



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