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    त्योहारों से पहले अशांति फैलाने की साजिश? ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर विवाद से देशभर में बढ़ा तनाव, पुलिस चौकन्नी

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    उत्तर प्रदेश के कानपुर में हुई एक घटना ने पूरे देश को हिला दिया है. ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान लगाए गए ‘I Love Muhammad’ पोस्टर को लेकर शुरू हुआ विवाद अब देशभर के शहरों में फैल चुका है. महाराष्ट्र, तेलंगाना, गुजरात और मध्य प्रदेश के शहरों में जुलूस निकाले जा रहे हैं, जहां नाबालिग बच्चे भी ‘सर तन से जुदा’ जैसे उग्र नारे लगा रहे हैं. कई जगहों पर पुलिस पर पथराव और हिंसा की खबरें भी सामने आई हैं. यह आंदोलन साम्प्रदायिक सौहार्द को खतरे में डाल रहा है. लेकिन सवाल उठता है: क्या यह सब एक गलतफहमी या सोशल मीडिया की अफवाहों पर आधारित है? हम आपको पूरी सच्चाई बता रहे हैं.

    उन्नाव में नाबालिग बच्चों के उन्मादी नारे

    सबसे पहले उन्नाव से आई एक चौंकाने वाली वीडियो की बात करते हैं. कानपुर की घटना के विरोध में उन्नाव में एक जुलूस निकाला गया, जिसमें 10-15 साल के नाबालिग बच्चे सड़कों पर उतर आए और ‘सर तन से जुदा’ जैसे नारे लगा रहे थे. उग्र भीड़ ने पुलिसवालों पर पथराव किया और एक इंस्पेक्टर की वर्दी का स्टार तक नोच लिया. उत्तराखंड के उधम सिंह नगर में भी इसी तरह का बवाल हुआ, जहां भीड़ ने पुलिस पर हमला बोला. यहां पुलिस ने 8 FIR दर्ज की है और 5 लोगों को गिरफ्तार किया है.

    ऐसी घटनाएं सिर्फ एक शहर तक सीमित नहीं हैं. देशभर में कानपुर की घटना के नाम पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. बरेली में घरों के बाहर पोस्टर लगे दिखे, नागपुर में जुलूस निकले जहां बैनरों पर पैगंबर मोहम्मद  के प्रति प्रेम जताया गया. गुजरात के गोधरा में तो प्रदर्शनकारियों ने पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया. इस मामले में 17 गिरफ्तारियां हुईं और 88 पर केस दर्ज. हैदराबाद, मुंबई, दिल्ली, मध्य प्रदेश और झारखंड में भी हजारों लोग सड़कों पर उतरे. सोशल मीडिया पर #ILoveMuhammad ट्रेंड कर रहा है.

    यह पूरा आंदोलन ‘I Love Muhammad’ के नाम से चल रहा है, जहां ‘मुहम्मद’ का तात्पर्य इस्लाम के संस्थापक पैगंबर मोहम्मद से है. समर्थक इसे धार्मिक आस्था का प्रतीक बता रहे हैं, लेकिन विरोधी इसे साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का हथियार. कानपुर पुलिस का कहना है कि पोस्टर लगाने पर FIR नहीं हुई, बल्कि सार्वजनिक जगह पर बिना इजाजत टेंट लगाने और सौहार्द बिगाड़ने पर कार्रवाई हुई.

    कानपुर में पोस्टर फाड़ने की दोहरी कहानी

    सब कुछ 5 सितंबर को कानपुर के सैयद नगर में शुरू हुआ. बरावफात (ईद-ए-मिलाद-उन-नबी) के जुलूस के दौरान मुस्लिम समुदाय ने एक लाइट बोर्ड लगाया, जिस पर ‘I Love Muhammad’ लिखा था. यह जगह हिंदू जागरण मार्ग पर थी, जहां पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था. बिना पुलिस अनुमति के लगाए गए इस बोर्ड पर हिंदू पक्ष ने आपत्ति जताई. हिंदू पक्ष का आरोप था कि मुस्लिम पक्ष के लोगों ने उनके जागरण पोस्टर को फाड़कर ‘I Love Muhammad’ का पोस्टर लगा दिया. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है कि हिंदुओं ने ‘I Love Muhammad’ का पोस्टर फाड़ा. इस मामले में 9 सितंबर को रावतपुर थाने में 9 नामजद (नमाजद) और 15 अज्ञात पर FIR दर्ज हुई. 

    सोशल मीडिया पर FIR को लेकर अफवाहें 

    विवाद तब भड़का जब सोशल मीडिया पर खबर फैली कि ‘I Love Muhammad’ का पोस्टर लगाने पर योगी सरकार ने एफआईआर दर्ज करवा दी. AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने 15 सितंबर को X पर पोस्ट किया, ‘मोहम्मद से मोहब्बत जुर्म नहीं है.’ उन्होंने कानपुर पुलिस को टैग करके एफआईआर दर्ज करने की आलोचना की. लेकिन कानपुर पुलिस ने स्पष्ट किया कि एफआईआर ‘I Love Muhammad’ पोस्टर लगाने पर नहीं, बल्कि सड़क पर टेंट लगाने और तनाव फैलाने पर हुई. एफआईआर में कहीं ‘I Love Muhammad’ का जिक्र नहीं है. इन अफवाहों ने मुस्लिम समुदाय को भड़काया और देश के कई शहरों में उग्र भीड़ जुलूस निकालने के लिए सड़कों पर उमड़ गई.

    जुलूस में नाबालिग बच्चे लगा रहे उन्मादी नारे

    इन जुलूसों में 10 साल से कम उम्र के बच्चे शामिल हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर वायरल उन्नाव के वीडियो में बच्चे ‘सर तन से जुदा’ के उग्र नारे लगा रहे हैं. क्या अफवहों पर बच्चों को सड़क पर उतारा जाना सही है?

    सार्वजनिक जगहों पर पोस्टर लगाना गैरकानूनी

    भारत में सार्वजनिक जगहों पर बिना अनुमति पोस्टर-बैनर लगाना गैरकानूनी है. लेकिन समस्या यह है कि राजनीतिक पार्टियां खुद इसका उल्लंघन करती हैं. सड़कों पर नेताओं के पोस्टर चिपके रहते हैं. कानपुर में भी यही हुआ. परंपरा के नाम पर नियम तोड़े गए. पुलिस का कहना है कि आंदोलन गुमराह करने वाला है. यह विवाद धार्मिक आस्था बनाम कानून का हो गया है. ओवैसी जैसे नेता इसे अल्पसंख्यकों का दमन बता रहे, जबकि पुलिस इसे गलतफहमी. देशभर में 20-30 जगहों पर प्रदर्शन हुए, कई में हिंसा भी हुई.

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