जर्मनी की वायु सेना ने बाल्टिक सागर के तटवर्ती हिस्से में प्रवेश करने वाले एक रूसी टोही विमान को रोकने के लिए दो यूरोफाइटर जेट्स तैनात कर दिए हैं. अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, नाटो की ‘Quick Reaction Alert Force’ ने एक अज्ञात लड़ाकू विमान का पता लगाने के बाद यह कार्रवाई की, जो बिना किसी उड़ान योजना या रेडियो संचार के उड़ान भर रहा था.
जर्मन वायु सेना ने एक बयान में कहा, “यह एक रूसी IL-20M टोही विमान था. पहचान के बाद, हमने अपने स्वीडिश नाटो सहयोगियों को एस्कॉर्ट की जिम्मेदारी सौंपी और जर्मन लड़ाकू विमान लौट आए.”
यह घटना तब हुई जब नाटो की उत्तरी अटलांटिक परिषद मंगलवार को एस्टोनिया के ऊपर रूसी जेट्स से जुड़ी एक अलग घटना पर चर्चा करने वाली है. एस्टोनिया ने शुक्रवार को मॉस्को पर अपने हवाई क्षेत्र का “अभूतपूर्व और बेशर्म” उल्लंघन करने का आरोप लगाया. उसने दावा किया कि रूस के तीन मिग-31 लड़ाकू विमानों ने बिना अनुमति के उसकी सीमा पार की और 12 मिनट तक अंदर रहे.
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इस घुसपैठ की नाटो और यूरोपीय सरकारों ने तुरंत निंदा की, इसे “लापरवाह” और “खतरनाक उकसावा” बताया. एस्टोनिया के प्रधानमंत्री क्रिस्टेन माइकल ने नाटो के अनुच्छेद 4 के तहत तत्काल परामर्श का आह्वान किया, जो सदस्यों को तब बैठक करने की अनुमति देता है जब उन्हें लगता है कि उनकी सुरक्षा या संप्रभुता खतरे में है.
रूस ने दावे किए खारिज
वहीं रूस के रक्षा मंत्रालय ने एस्टोनिया के दावों को खारिज कर दिया है. यह घटनाएं नाटो के पूर्वी हिस्से में बढ़ते तनाव को उजागर करती हैं. यूक्रेन का कहना है कि यह बार-बार होने वाले हवाई क्षेत्र के उल्लंघन मॉस्को द्वारा नाटो की रक्षा प्रणालियों का पता लगाने और पश्चिमी देशों के संकल्प का परीक्षण करने के प्रयास हैं.
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विश्लेषकों का कहना है कि ऐसी घटनाओं का उद्देश्य अक्सर नाटो की सुरक्षा प्रणाली की परीक्षा लेना, खुफिया जानकारी जुटाना और पड़ोसी देशों पर दबाव बनाना होता ह.। यूक्रेन ने भी इन घटनाओं को रूस की रणनीतिक दबाव की नीति बताया है.
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