‘या अली’ और ‘दिल तू ही बता’ जैसे हिट बॉलीवुड गाने देने वाले सिंगर जुबिन गर्ग अब हमारे बीच नहीं रहे. उन्होंने शुक्रवार 19 सितंबर के दिन सिंगापुर में अपनी अंतिम सांस ली. जुबिन स्कूबा डाइविंग के दौरान हादसे का शिकार हुए थे. हालांकि उनकी मौत कैसे हुई, ये स्पष्ट जानकारी किसी के पास नहीं थी. लेकिन अब असम के सीएम ने खुद उनकी मौत का कारण बताया है.
कैसे हुई थी जुबिन गर्ग की मौत?
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का कहना है, ‘सिंगर जुबिन की मौत डूबने से हुई, ऐसा सिंगापुर सरकार द्वारा जारी किए गए डेथ सर्टिफिकेट में बताया गया है.’ जुबिन का पार्थिव शरीर 20 सितंबर के दिन सिंगापुर से दिल्ली आया था. जिसे 21 सितंबर के दिन असम लाया गया.
सिंगर का पार्थिव शरीर जैसे ही असम के शहर गुवाहाटी पहुंचा, सकड़ों पर फैंस का जनसैलाब उमड़ पड़ा. हर कोई जुबिन को अंतिम श्रद्धांजलि देने पहुंच गया. उनकी पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग का रो-रोकर बुरा हाल हुआ. वो सिंगर के पार्थिव शरीर से लिपटकर रोने लगीं. जुबिन की याद में असम की कैबिनेट मिनिस्ट्री ने भी एक मिनट का मौन रखा.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने ये भी बताया कि जुबिन का अंतिम संस्कार 23 सितंबर के दिन पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. उन्होंने X (पहले ट्विटर) पर ट्वीट करके भी लिखा, ‘जुबिन गर्ग के परिवार से बातचीत के बाद असम कैबिनेट ने गुवाहाटी के पास कमरकुची में 10 बीघा जमीन देने की मंजूरी दी है, जहां हमारे प्यारे जुबिन को 23 सितंबर को अंतिम विश्राम दिया जाएगा.’
क्यों असम की जनता को इतने प्यारे हैं जुबिन गर्ग?
जुबिन गर्ग की मौत से पूरी असम की जनता दुखी है. उनका भी सिंगर के परिवार की तरह रो-रोकर बुरा हाल है. जब शुक्रवार के दिन जुबिन के निधन की खबर सामने आई थी, तब सिंगर के घर के बाहर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. जुबिन के लिए असम की जनता इस कदर भावुक है कि 20 सितंबर से लेकर 22 सितंबर तक पूरे राज्य में राजकीय शोक मनाया गया. जुबिन ने असम के कल्चर को पूरे भारत में प्रख्यात किया है. उनके ज्यादातर गाने असम भाषा में ही पॉपुलर हैं.
उनके करियर की शुरुआत रीजनल गानों से ही हुई थी. जुबिन ने असम भाषा के साथ-साथ बंगाली भाषा में भी गाने गाए हैं. उन्हें साल 2006 में ‘गैंगस्टर’ फिल्म में ‘या अली’ गाना गाने का मौका मिला. इस गाने ने उन्हें असम के साथ-साथ पूरे भारत में पॉपुलर किया. जुबिन को हर तरफ से बहुत प्यार मिला, लेकिन उन्होंने हमेशा अपने असम कल्चर को आगे बढ़ाने का काम किया जिसके लिए उन्हें असम की जनता दिल से याद करती है और आगे भी करती रहेगी.
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