प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन (17 सितंबर, 2025) के बाद आज तक को दिए खास इंटरव्यू में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उनके साथ अपने रिश्तों और राजनीतिक सफर पर बातचीत की. अमित शाह से सवाल पूछा गया कि क्या किसी बिंदु पर ऐसा हुआ कि पीएम मोदी की कुछ और सोच थी और आपकी कुछ और सोच थी? इसके जवाब में उन्होंने कहा, ‘ऐसा तो कई बार होता है, कई साथियों की सोच अलग होती है. कई बार पीएम इसको मान लेते हैं तो फिर ये उनका फैसला होता है.’
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘टीम में जो चर्चा होती है उस वक्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी किसी फैसले को प्रभावित नहीं करते. जो फैसला होता है वो सभी का फैसला होता है और पीएम मोदी का फैसला होता है. नरेंद्र मोदी से अच्छा लिसनर मैंने आज तक नहीं देखा है. कई अन्य दलों की सरकारों की कैबिनेट के अंदर बोलने की इतनी स्वतंत्रता नहीं होती, जितनी पीएम मोदी के कैबिनेट में होती है. प्रधानमंत्री सबको निश्चित तौर पर सुनते हैं. फिर निर्णय तो स्वाभाविक रूप से नेतृत्व करता है.’
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नरेंद्र मोदी के अंदर का विद्यार्थी 75 साल में भी जिंदा है
अगर प्रधानमंत्री मोदी से किसी को कुछ सबक लेना चाहिए तो वह क्या होगा? इसके जवाब में अमित शाह ने कहा, ‘देखिए, नरेंद्र मोदी के अंदर का विद्यार्थी 75 साल की आयु में भी जिंदा है. ये सबसे बड़ा सबक है. जिसकी सीखने की वृद्धि खत्म हो जाती है वो कभी ना खुद आगे बढ़ सकता है, ना अपने संगठन को आगे बढ़ा सकता है.’ अगर प्रधानमंत्री के लिए अमित शाह को कुछ कहना हो तो क्या कहेंगे?
इस सवाल के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पॉलिटिकल साइंस के विद्यार्थियों के लिए पीएम मोदी का राजनीतिक सफर और उनकी कार्यशैली जीती-जागती यूनिवर्सिटी है. उन्होंने कहा, ‘मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के रूप में किए हुए उनके कार्यों का ढंग से जो विश्लेषण करेगा तो पॉलिटिकल साइंस के स्टूडेंट के लिए इससे बड़ी कोई एक्सरसाइज कहीं नहीं मिलेगी.
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पार्टी के कई सारे साथियों से मिलकर परफॉर्मेंस होता है
अमित शाह की प्रबंधन क्षमता को नरेंद्र मोदी ने कब पहचाना और क्या इसे लेकर कभी उनसे आमने-सामने से कोई बात हुई? इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने कहा, ‘प्रधानमंत्री से जब मैं पार्टी का अध्यक्ष था, लगभग रोज बात होती थी, इसमें क्या नई बात है? हर चीज शेयर की जाती थी, हर चीज में वह गाइड करते थे. पार्टी के कई सारे साथियों से मिलकर परफॉर्मेंस होता है, कोई अकेला परफॉर्मेंस नहीं देता. और अपनी स्थापना से ही बीजेपी के चुनाव लड़ने की और पार्टी चलाने की पद्धति जस की तस है, मुद्दे बदलते रहते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘चुनाव लड़ने की पद्धति हमारी 1950 से यही है और पार्टी चलाने की, संगठन चलाने की हमारी पद्धति भी 1950 से वही है. कई सारी पार्टियों में 80 वाइस प्रेसिडेंट, 80 जनरल सेक्रेटरी, 80 सेक्रेटरी होते हैं. हमारी पार्टी में कभी ऐसा नहीं होता है. निश्चित फॉर्मेट में हमारे पदाधिकारी भी होते हैं, हमारी कार्यकारिणी भी होती है और पार्लियामेंट्री बोर्ड भी होता है.
ये संविधान से चलने वाली पार्टी है.’
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