क्या राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के घर में बड़ा झगड़ा चल रहा है? क्या परिवार के अंदर जबरदस्त तनातनी चल रहा है? क्या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार और राजद के राज्यसभा सांसद संजय यादव की वजह से लालू परिवार में बड़ा बवाल मच गया है? तेज प्रताप के बाद क्या संजय यादव को लालू प्रसाद की दूसरी बेटी रोहिणी आचार्य ने भी निशाने पर लिया है? क्या संजय यादव की वजह से लालू परिवार से तेज प्रताप दूर हुए? क्या अब संजय यादव की वजह से ही रोहिणी आचार्य भी बैकफुट पर हैं?
यह कुछ ऐसे सवाल हैं, जिन्होंने बिहार की राजनीति में पिछले दो दिनों से भूचाल ला दिया है. इस बवाल की शुरुआत दरअसल गुरुवार को हुई, जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा के दौरान एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई. इस तस्वीर में तेजस्वी यादव जिस बस में सवार होकर यात्रा कर रहे हैं और जिस अगली सीट पर वह बैठते हैं, उसे सीट पर संजय यादव बैठ गए.
तेजस्वी की सीट पर संजय यादव के बैठने वाली तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो एक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि फ्रंट सीट हमेशा शीर्ष नेता के लिए ही होती है. इसी कड़ी में बिना नाम लिए संजय यादव पर भी हमला करते हुए सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा गया कि अगर कोई अपने आप को शीर्ष नेतृत्व से भी ऊपर समझ रहा है तो अलग बात है. इस फ्रंट सीट पर लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को बैठते देखने के लोग अभ्यस्त हैं. उनकी जगह पर कोई और बैठे यह हमें तो कतई मंजूर नहीं.
इस सोशल मीडिया पोस्ट में संजय यादव पर हमला करते हुए लिखा गया- ठकुरसुहाती (चापलूसी करने वालों, दोयम दर्जे के व्यक्ति में एक विलक्षण रणनीतिकार सलाहकार तारणहार नजर आता है, की बात अलग है.
रोहिणी का संजय यादव पर हमला
बवाल की शुरुआत यहीं से होती है, जब लालू की सिंगापुर में रहने वाली बेटी इस सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करती हैं. रोहिणी के इस सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करने से विवाद को हवा मिली और इस बात के संकेत मिल गए कि रोहिणी आचार्य को भी संजय यादव के तेजस्वी के सीट पर बैठने पर आपत्ति थी.
रोहिणी आचार्य के इस सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करने के बाद जैसे ही बिहार में सियासत गरमाने लगी तो कुछ घंटे के बाद रोहिणी ने डैमेज कंट्रोल करते हुए उन्होंने अपनी ही पार्टी के कुछ अन्य पिछड़ी जाति के नेताओं के तेजस्वी की सीट पर बैठने की तस्वीर शेयर कर दी और लिखा- वंचितों और समाज के आखिरी पायदान पर खड़े लोगों को आगे लाना ही लालू प्रसाद के सामाजिक और आर्थिक न्याय के अभियान का मकसद रहा है. इन तस्वीरों में समाज के इन्हीं तबके से आने वालों को आगे बैठे देखना सुखद अनुभूति है.
रोहिणी आचार्य के इस सोशल मीडिया पोस्ट से स्पष्ट हो गया कि कथित रूप से संजय यादव पर हमला करते हुए उनके पहले वाले सोशल मीडिया पोस्ट ने लालू परिवार में भूचाल ला दिया था. इसके बाद उन्होंने डैमेज कंट्रोल करते हुए कुछ अन्य नेताओं की तस्वीर भी साझा की.
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लेकिन विवाद यही नहीं थमा. अगले दिन यानी शुक्रवार को ऐसा लगा कि रोहिणी आचार्य इस पूरे घटनाक्रम से बहुत आहत हुई हैं और फिर उन्होंने एक के बाद एक सोशल मीडिया पर कई तस्वीरें और वीडियो शेयर किए, जिनमें रोहिणी अपने पिता लालू प्रसाद के साथ दिख रही हैं. एक तस्वीर उस वक्त की थी, जब लालू सिंगापुर में किडनी ट्रांसप्लांट कराने के लिए गए थे और रोहिणी ने अपने पिता लालू को किडनी डोनेट की थी.
इन तस्वीरों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए रोहिणी ने लिखा- जो जान हथेली पर रखते हुए बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने का जज्बा रखते हैं, बेखौफी, बेबाकी, खुद्दारी तो उनके लहू में बहती है.
इसके बाद रोहिणी ने एक और सोशल मीडिया पर पोस्ट डाला और लिखा- मैंने एक बेटी और बहन के तौर पर अपना कर्तव्य और धर्म निभाया है और आगे भी निभाती रहूंगी. मुझे किसी पद की लालसा नहीं है, न मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा है, मेरे लिए मेरा आत्मसम्मान सर्वोपरि है.
रोहिणी के शुक्रवार को किए गए दोनों सोशल मीडिया पोस्ट से स्पष्ट संकेत मिला कि संजय यादव के खिलाफ उन्होंने जो सख्त तेवर अख्तियार किया था और फिर कुछ ही घंटे में उन्हें बैकफुट पर जाना पड़ा था, उस प्रकरण को लेकर वह काफी दुखी हैं.
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ऐसा लगता है कि अपनी और लालू प्रसाद की सिंगापुर की तस्वीरें साझा करके रोहिणी ने परिवार को यह बताने की कोशिश की है कि उन्होंने अपने पिता को किडनी दान की है और वह अपने परिवार के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं. पिता की जान बचाकर उन्होंने बेटी का कर्तव्य और धर्म निभाया है.
वहीं दूसरी तरफ रोहिणी का यह भी लिखना कि उन्होंने बहन के तौर पर भी अपना कर्तव्य और धर्म निभाया है. दूसरी तरफ इससे ऐसा लगता है कि रोहिणी ने तेजस्वी को भी यह एहसास दिलाने की कोशिश की है कि संजय यादव की तेजस्वी की सीट पर बैठने वाली तस्वीर और सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करके उन्होंने अपनी नाराजगी एक बहन के तौर पर व्यक्त की है.
तेज प्रताप vs संजय यादव
इससे पहले लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप और संजय यादव को लेकर भी तनातनी की खबरें लगातार आती रही हैं. तेज प्रताप ने कई मौकों पर बिना नाम लिए हुए संजय यादव पर निशाना साधा है और उन्हें ‘जयचंद’ बताया है. बिहार के राजनीतिक गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा हमेशा रहती है कि संजय यादव की वजह से ही तेज प्रताप की अपने परिवार से दूरी बढ़ गई.
आखिरकार परिवार ने तेज प्रताप को घर और पार्टी दोनों से निकाल दिया. इस बात को लेकर चर्चा होती है कि तेजस्वी यादव अपने राजनीतिक सलाहकार संजय यादव की हर बात को मानते हैं और शायद उन्हें संजय यादव के खिलाफ कुछ भी सुनना मंजूर नहीं है. पहले जहां तेज प्रताप परिवार से अलग हुए, वहीं दूसरी तरफ संजय यादव के कारण रोहिनी आचार्य भी परिवार में अलग-थलग पड़ गई हैं.
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