अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन के साथ एक बड़े व्यापार समझौते के लिए बेताब हैं और इसके लिए वो ताइवान को बलि का बकरा बना सकते हैं. बीजिंग को लुभाने की कोशिश में ट्रंप प्रशासन ने ताइवान को दी जाने वाली 40 करोड़ डॉलर (करीब 3,340 करोड़ रुपये) की सैन्य सहायता रोक दी है. चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और यह द्वीप देश लगातार चीनी सैन्य आक्रमण की धमकियों का सामना करता रहा है. ताइवान अब तक अमेरिकी सैन्य सहयोग पर निर्भर रहा है ताकि बीजिंग की महत्वाकांक्षाओं को रोका जा सके.
वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान के लिए 40 करोड़ डॉलर से अधिक के सैन्य सहायता पैकेज को मंजूरी देने से इनकार कर दिया है.’ इस पैकेज में गोला-बारूद और अत्याधुनिक ड्रोन शामिल थे.
रिपोर्ट के अनुसार, यह फैसला इस साल गर्मियों में लिया गया था और संभव है कि इसे भविष्य में बदला भी जा सकता है.
ताइवान पर बढ़ता चीनी दबाव
चीन ने ताइवान के चारों ओर अपना सैन्य दबाव बढ़ा दिया है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन लगभग रोज ही अपने युद्धपोत और विमान ताइवान के आस-पास के समुद्री और हवाई क्षेत्र में भेज रहा है.
दिसंबर 2024 में चीनी नए साल के अवसर पर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था, ‘ताइवान और चीन के लोग एक ही परिवार हैं. कोई भी हमारे रिश्तों को नहीं तोड़ सकता और न ही राष्ट्रीय एकीकरण की ऐतिहासिक प्रक्रिया को रोक सकता है.’
ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने हाल ही में रक्षा बजट बढ़ाने की प्लानिंग का ऐलान किया है. उनकी सरकार ने और अधिक ड्रोन व जहाज खरीदने के लिए विशेष फंड को मंजूरी दी है. यह कदम अमेरिका को खुश करने और आत्मनिर्भरता बढ़ाने क लिए उठाया गया है.
वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, सैन्य सहायता पर रोक ट्रंप की ‘लेन-देन वाली विदेश नीति’ को दिखाती है. उनका मानना है कि सहयोगी देशों को अपनी सुरक्षा पर खुद खर्च करना चाहिए. ट्रंप प्रशासन का रुख यह रहा है कि ताइवान को अमेरिकी हथियार खरीदने चाहिए, न कि उन्हें मुफ्त में राष्ट्रपति के विशेष अधिकारों के तहत दिए जाएं, जैसा कि बाइडेन प्रशासन ने कई बार किया था.
चीन के साथ व्यापार वार्ता का दबाव
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और चीन के बीच एक जटिल व्यापार समझौते को लेकर वार्ता चल रही है. ट्रंप के टैरिफ के जवाब में चीन ने भी अमेरिका पर टैरिफ लगा दिया जिसने ट्रंप को मजबूर किया है कि वो चीन के प्रति नरम पड़े.
चीन ने अमेरिका से सोयाबीन की खरीद बंद कर ब्राजील से आयात बढ़ा दिया है, जिससे अमेरिकी किसान दबाव में हैं. चीन अमेरिका के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग 25% खरीदता रहा है.
ट्रंप जल्द ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से बातचीत करने वाले हैं. इस बातचीत में टिक-टॉक जैसे चीनी ऐप पर पाबंदी और दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी.
ऐसे वक्त में ताइवान को सहायता रोकने का ट्रंप का फैसला शी जिनपिंग को खुश करने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
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