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    सोने की कीमत में तेजी… क्या स्‍टॉक मार्केट में आएगी बड़ी गिरावट? ‘निक्सन शॉक’ जैसी तबाही के संकेत

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    पिछले कुछ समय से सोने की कीमतों में बड़ी उछाल देखी गई है, जिसे लेकर ये चर्चा होने लगी है कि शेयर बाजार में बड़ा जोखिम आने वाला है. क्‍योंकि ये अक्‍सर देखा गया है कि सोने की बढ़ती कीमत के साथ शेयर में गिरावट आई है. 

    सोने में बढ़ती कीमत के साथ कुछ लोग यहां तक कह रहे हैं कि 1971 के ‘निक्‍सन शॉक’ जैसी तबाही आ सकती है. 1971 के ‘निक्सन शॉक’ के बाद सोने की कीमतें अपने दबे हुए स्तर से ऊपर उठ गईं, जो 1934 से 35 डॉलर प्रति औंस पर स्थिर थीं. अगले दो दशकों तक सोने की कीमतें आसमान छूती रहीं, जो ज्‍यादा महंगाई और भू-राजनीतिक जोखिम के कारण और भी बढ़ गईं. 

    सोने की कीमतों में तेजी के कारण ग्‍लोबल स्‍तर पर तबाही के साथ ही शेयर बाजार में भी भारी गिरावट रही. इसी के मद्देनजर, अब ट्रंप के टैरिफ झटके को ‘निक्‍सन शॉक’ से तुलना किया जा रहा है. यह कहा जा रहा है कि सोने की कीमत में लगातार उछाल से ‘निक्‍सन शॉक’ जैसी तबाही आ सकती है. हालांकि पिछले दो दिनों से सोने के भाव में गिरावट देखी जा रही है. 

    ब्रोकरेज ने कहा कोई रिस्‍क नहीं
    हालांकि आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज का कहना है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है. पहले सोने में बढ़ोतरी से बाजार में रिस्‍क बढ़ता था, लेकिन अब सोना और शेयर बाजार में अटूट संबंध बंध चुका है. सोने की कीमतों में निरंतर ग्रोथ एक संयोग मात्र है. ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि आज सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का मतलब यह नहीं है कि शेयरों में गिरावट आ रही है, न ही शेयरों में तेजी का मतलब सोने में कमजोरी है.

    सोना में तेजी, बाजार में गिरावट नहीं 
    आईसीआईसीआई सिक्‍योरिटीज का कहना है कि जब तक टैरिफ वाला मसला हल नहीं होता और केंद्रीय बैंकों की सोने की मांग पूरी नहीं हो जाती, तब तक सोने में तेजी आती रहेगी. लेकिन इसका ये मतलब नहीं होगा कि इक्विटी में गिरावट आए. सोने में तेजी के दौरान अगर बाजार गिरता है तो यह एक संयोग हो सकता है. ब्रोकरेज ने कहा कि लंबी या छोटी इक्विटी पोजीशन के लिए संकेत के रूप में सोने की कीमतों का उपयोग करना गलत है.  

    जब सोना और इक्विटी में एक साथ आई तेजी
    ब्रोकरेज का कहना है कि शेयर बाजार में इस तरह के ब्रेकडाउन पहले भी हो चुके हैं. 2008-09 के वैश्विक वित्तीय संकट के बाद, केंद्रीय बैंकों द्वारा नियमों में बदलाव के कारण 2010 में शेयरों में उछाल आया, जबकि सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी, जिससे एक सकारात्मक संबंध बना. 1980 के दशक में भी ऐसा ही एक ओवरलैप देखा गया था, जब सोने और इक्विटी दोनों ने एक साथ रिकॉर्ड ऊंचाई हासिल की थी. 

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