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    ‘भारत और चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाए यूरोपीय संघ’, अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने उगला जहर

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    अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने हाल ही में पोलैंड के हवाई क्षेत्र में रूसी ड्रोन घुसने की घटना पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. लिंडसे ने यूरोपीय संघ (EU) देशों से आग्रह किया कि वे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साथ दें और ‘पुतिन के ग्राहक देशों’ यानी भारत और चीन के खिलाफ सख्त कदम उठाएं.

    NBC न्यूज़ को दिए इंटरव्यू में अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि यूरोप राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का साथ दे और पुतिन के ग्राहकों को दंडित करे. पुतिन पर हर संभव तरीके से प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं. ट्रंप का तरीका है कि पुतिन के ग्राहक देशों यानी भारत और चीन को भी निशाना बनाया जाए. यूरोप को भी इसी दिशा में कदम बढ़ाने होंगे. लिहाजा इन देशों पर भी कड़े प्रतिबंध लगाएं, तभी यूक्रेन युद्ध समाप्त होगा.

    ग्राहम ने सोशल मीडिया पर एक बयान भी जारी किया, जिसमें कहा गया कि वह ट्रंप के रूस के तेल खरीदारों के खिलाफ आर्थिक कार्रवाई की योजना से बहुत प्रसन्न हैं. उन्होंने कहा कि चीन रूस का युद्ध उपकरण मजबूत करने में मदद कर रहा है, क्योंकि वह सस्ते तेल और गैस की खरीदारी कर रहा है. इसलिए चीन पर अमेरिका और उसके नाटो सहयोगी सख्त टैरिफ लगाने चाहिए. बयान में यह भी कहा गया है कि हम पिछले कई महीनों से इस रणनीति का समर्थन करने वाले कानून पर काम कर रहे हैं, ताकि ट्रंप को चीन, भारत और ब्राज़ील जैसे देशों पर भारी शुल्क लगाने का अधिकार मिल गया है, जो पुतिन से सस्ता तेल और गैस खरीदकर उन्हें वित्तपोषित करते रहते हैं.

    ट्रंप का चीन पर 50-100% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव

    वहीं, डोनाल्ड ट्रंप ने नाटो देशों से रूस से तेल खरीदना बंद करने और उस पर प्रतिबंध लगाने की अपील की. साथ ही उन्होंने चीन पर 50 से 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रस्ताव दिया, जो तब तक लागू रहेगा, जब तक यूक्रेन-रूस युद्ध खत्म नहीं हो जाता. ट्रंप ने कहा कि इस उपाय से चीन की रूस पर पकड़ टूटेगी और यह युद्ध जल्द समाप्त हो जाएगा.

    चीन की प्रतिक्रिया

    चीन ने ट्रंप के इस प्रस्ताव पर कड़ा विरोध जताया. चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि युद्ध से समस्याओं का समाधान नहीं होता, बल्कि यह उन्हें और जटिल बनाता है. चीन युद्ध में हिस्सा नहीं लेता और न ही ऐसा करने की योजना बनाता है. चीन शांति वार्ता को बढ़ावा देने और संवाद के जरिए समाधान ढूंढने पर विश्वास करता है.

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