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    जीआरएसई ने भारतीय नौसेना को सौंपा ‘अंड्रोथ’, दुश्मन की पनडुब्बियां छिप नहीं सकती

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    गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता ने 13 सितंबर 2025 को भारतीय नौसेना को ‘अंड्रोथ’ नामक दूसरा एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट (एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी) सौंप दिया. यह जहाज आठ जहाजों की सीरीज का दूसरा है, जो पूरी तरह से स्वदेशी डिजाइन और निर्माण का प्रतीक है. 

    अंड्रोथ क्या है और इसका महत्व?

    अंड्रोथ एक एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वॉटर क्राफ्ट है, जो समुद्र में पनडुब्बियों से लड़ने के लिए बनाया गया है. यह जहाज कोलकाता के जीआरएसई में भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग (आईआरएस) के नियमों के अनुसार बनाया गया है. इसका नाम लक्षद्वीप द्वीपसमूह के अंड्रोथ द्वीप से लिया गया है, जो भारत की विशाल समुद्री सीमाओं की रक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.

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    यह जहाज नौसेना की एंटी-सबमरीन क्षमता, तटीय निगरानी और समुद्र में बारूदी सुरंग बिछाने की क्षमता को मजबूत करेगा. लंबाई लगभग 77 मीटर की यह नौसेना की सबसे बड़ी जहाज है, जो डीजल इंजन-वाटरजेट संयोजन से चलती है. इसमें आधुनिक हल्के टॉरपीडो, स्वदेशी एएसडब्ल्यू रॉकेट, उन्नत शैलो वॉटर सोनार सिस्टम लगे हैं, जो तटीय क्षेत्रों में पनडुब्बियों का पता लगाने और उनसे लड़ने में मदद करेंगे.

    इसके अलावा, अंड्रोथ में जीआरएसई द्वारा निर्मित स्वदेशी 30 एमएम नेवल सरफेस गन (एनएसजी) फिट किया गया है, जो इसे और शक्तिशाली बनाता है. यह जहाज तीन वाटरजेट से चलता है, जो इसे बहुत तेज बनाते हैं. इसका ड्राफ्ट सिर्फ 2.7 मीटर है, जिससे यह तट के पास आसानी से पहुंच सकता है. सब-सरफेस खतरों का सामना कर सकता है.

    13 सितंबर 2025 को कोलकाता के जीआरएसई में आयोजित समारोह में रियर एडमिरल रवनीश सेठ, सीएसओ (टेक), ईएनसी ने भारतीय नौसेना की ओर से अंड्रोथ को स्वीकार किया.यह डिलीवरी पहली जहाज आईएनएस अर्नाला के चार महीने बाद हुई, जो 8 मई 2025 को डिलीवर हुई थी. 18 जून 2025 को विशाखापत्तनम में कमीशन की गई थी.

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    भारतीय नौसेना ने कुल 16 एडवांस्ड एएसडब्ल्यू शैलो वॉटर क्राफ्ट के लिए ऑर्डर दिया है, जिसमें से आठ जीआरएसई और आठ कोचिन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) द्वारा बनाए जा रहे हैं. जीआरएसई ने अब तक अपने आठ जहाजों में से दो डिलीवर कर दिए हैं.

    अंड्रोथ का लॉन्च मार्च 2023 में हुआ था. मार्च 2025 में इसके कॉन्ट्रैक्टर सी ट्रायल्स सफलतापूर्वक पूरे हुए. जीआरएसई वर्तमान में नौसेना के लिए 13 और युद्धपोत बना रहा है, जिनमें दो पी17ए एडवांस्ड स्टेल्थ फ्रिगेट, छह एएसडब्ल्यू एसडब्ल्यूसी, एक सर्वे वेसल (लार्ज) और चार नेक्स्ट जेनरेशन ऑफशोर पेट्रोल वेसल शामिल हैं.

    आत्मनिर्भर भारत की दिशा में योगदान

    अंड्रोथ में 88% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो आयात पर निर्भरता कम करने और घरेलू क्षमताओं को बढ़ाने का प्रमाण है. यह जहाज सरकार की आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की दृष्टि को मजबूत करता है. जीआरएसई की यह उपलब्धि भारत की समुद्री सुरक्षा को और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

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