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    पाकिस्तान लश्कर-ए-तैयबा का मुख्यालय दोबारा बनाएगा: ऑपरेशन सिंदूर के बाद नया विवाद

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    भारत ने मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुख्यालय पर हमला किया था. लेकिन अब पाकिस्तान सरकार ने फैसला लिया है कि वह इस क्षतिग्रस्त मुख्यालय को दोबारा बनाएगी. यह खबर भारत की खुफिया एजेंसियों और विशेषज्ञों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि इससे पाकिस्तान की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता पर सवाल उठते हैं.

    ऑपरेशन सिंदूर क्या था और क्यों हुआ?

    22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक भयानक आतंकी हमला हुआ. 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या कर दी गई. भारत ने इस हमले का जिम्मेदार पाकिस्तान-आधारित आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट'(TRF) को ठहराया, जो LeT का ही एक हिस्सा है. LeT के सरगना हाफिज सईद ने कई हमलों को अंजाम दिया है, जैसे 2008 का मुंबई हमला.

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    भारत ने 7 मई 2025 को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया. यह एक सटीक सैन्य कार्रवाई थी, जिसमें भारतीय वायुसेना ने मिसाइलों और ड्रोन का इस्तेमाल किया. कुल 9 जगहों पर हमले किए गए, जिनमें पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) शामिल थे. इनमें LeT और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के ठिकाने थे. भारत ने कहा कि सिर्फ आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर को निशाना बनाया गया, सैन्य या नागरिक सुविधाओं को नहीं.

    मुरिदके पर हमला: मुरिदके पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है. लाहौर से सिर्फ 30 किलोमीटर दूर. यहां ‘मर्कज तैबा’ नाम का कॉम्प्लेक्स है, जो LeT का मुख्यालय है. यह 200 एकड़ में फैला है और इसमें मदरसा, अस्पताल, आवास, ट्रेनिंग सेंटर और हथियार भंडारण शामिल हैं. हमले में मुख्य इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं…

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    • एक लाल दो मंजिला इमारत, जो रहने और हथियार रखने के लिए इस्तेमाल होती थी.
    • दो पीली इमारतें ‘उम्म-उल-कुरा’, जो ट्रेनिंग और कमांडरों के रहने के लिए थीं.

    भारत ने दावा किया कि हमले में 80-100 आतंकी मारे गए, जिनमें हाई-वैल्यू टारगेट जैसे यूसुफ अजहर (JeM), अब्दुल मलिक रऊफ (LeT) और मुदसिर अहमद (JeM) शामिल थे. सैटेलाइट इमेज (मैक्सर और अन्य स्रोतों से) ने क्षति की पुष्टि की. पाकिस्तान ने कहा कि 5 नागरिक मारे गए, लेकिन भारत ने इसे झूठ बताया. 

    यह ऑपरेशन भारत की नई स्ट्रैटेजी का हिस्सा था, जो पाकिस्तान के प्रॉक्सी वॉर (अप्रत्यक्ष युद्ध) का जवाब देता है. पहले बालाकोट (2019) जैसे हमले हुए थे, लेकिन सिंदूर ने पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों को निशाना बनाया.

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    पुनर्निर्माण के प्रयास: क्या हो रहा है?

    हमले के बाद मुरिदके का मर्कज तैबा मलबे में बदल गया. लेकिन अगस्त 2025 से पुनर्निर्माण शुरू हो गया. LeT ने 5 JCB मशीनें लगाईं और क्षतिग्रस्त इमारतों को तोड़ना शुरू किया. 4 सितंबर 2025 तक ‘उम्म-उल-कुरा’ की पीली इमारत पूरी तरह ध्वस्त हो गई. अब नई इमारतें बनाने की तैयारी है.

    • तारीख का महत्व: LeT चाहता है कि पुनर्निर्माण 5 फरवरी 2026 से पहले पूरा हो. यह तारीख LeT के लिए खास है, क्योंकि हर साल इस दिन कश्मीर-केंद्रित ‘जिहाद’ इवेंट आयोजित होता है. यह पाकिस्तान के कश्मीर दिवस से जुड़ा है.
    • सुपरविजन: LeT के सीनियर मेंबर्स जैसे मर्कज तैबा के डायरेक्टर, चीफ ट्रेनर मौलाना अबू जर (उस्ताद-उल-मुजाहिदीन) और कमांडर यूनुस शाह बुखारी इसकी निगरानी कर रहे हैं.

    वीडियो फुटेज से पता चलता है कि मलबा साफ हो रहा है. निर्माण जल्द शुरू होगा. पाकिस्तान ने कहा कि यह ‘शिक्षा और स्वास्थ्य’ सुविधाओं का पुनर्निर्माण है, लेकिन भारत इसे आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर बताता है.

     lashkar-e-taiba pakistan

    फंडिंग और सरकारी समर्थन: पाकिस्तान की भूमिका

    पाकिस्तान सरकार ने LeT मुख्यालय के पुनर्निर्माण के लिए फंडिंग का वादा किया है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर ने कहा कि मस्जिद का निर्माण उनके निजी संसाधनों से होगा. यह फैसला IMF से मिली 2 बिलियन डॉलर की मदद के ठीक बाद आया, जिस पर भारत ने सवाल उठाए. भारत का कहना है कि यह पैसा आतंकी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हो रहा है, जो आतंकवाद-रोधी प्रयासों के खिलाफ है.

    चिंताएं: विशेषज्ञों का कहना है कि इससे पाकिस्तान की राज्य-समर्थित आतंकवाद की नीति साफ होती है. LeT को UN ने प्रतिबंधित किया है, लेकिन पाकिस्तान इसे ‘जमात-उद-दावा’ जैसे फ्रंट के जरिए समर्थन देता है. भारत ने IMF से अपील की कि पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद पर पुनर्विचार हो. 

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    क्षतिपूर्ति का विवाद: मसूद अजहर को 14 करोड़?

    पाकिस्तान ने हमले में प्रभावित लोगों के लिए मुआवजा पैकेज घोषित किया, जो 3.02 करोड़ से 5.4 करोड़ रुपये तक है. लेकिन विवाद तब बढ़ा जब खबर आई कि JeM के सरगना मसूद अजहर को 14 करोड़ रुपये मिल सकते हैं. कथित तौर पर उसके 14 परिवार के सदस्य हमले में मारे गए. मसूद अजहर UN-नामित आतंकी है, जो 1999 के IC-814 अपहरण के बाद रिहा हुआ था. 

    क्षेत्रीय स्थिरता पर प्रभाव: क्या होगा आगे?

    LeT मुख्यालय का पुनर्निर्माण भारत के लिए खतरे की घंटी है. भारत की खुफिया एजेंसियां कहती हैं कि यह पाकिस्तान की आतंकवाद को शरण देने की साजिश है. इससे क्षेत्रीय स्थिरता प्रभावित हो सकती है. भविष्य में नए हमले हो सकते हैं. ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि भारत अब पाकिस्तान के अंदर हमला कर सकता है, लेकिन पुनर्निर्माण से तनाव बढ़ेगा.

    विशेषज्ञों का कहना है कि LeT जैसे संगठन पाकिस्तान की मिलिट्री डॉक्ट्रिन का हिस्सा हैं, जो कश्मीर में प्रॉक्सी वॉर चलाते हैं. यह दिखाता है कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ गंभीर नहीं. भारत ने कहा है कि जरूरत पड़ी तो फिर कार्रवाई होगी. दुनिया को भी पाकिस्तान पर दबाव डालना चाहिए.

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