More
    HomeHomeआतंक फैलाने वाला पाकिस्तान कैसे बना ‘आतंक पीड़ित’ !

    आतंक फैलाने वाला पाकिस्तान कैसे बना ‘आतंक पीड़ित’ !

    Published on

    spot_img


    दुनिया की राजनीति अक़्सर दोहरे मापदंडों का चेहरा दिखाती है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पाकिस्तान है. कभी FATF की ग्रे लिस्ट में आतंक की फंडिंग करने वाले देश के तौर पर बदनाम हुआ पाकिस्तान, अब SCO-RATS (रीजनल एंटी-टेररिस्ट स्ट्रक्चर) का अध्यक्ष बन बैठा है-एक ऐसा मंच जो आतंकवाद से लड़ने के लिए बनाया गया था. यह कहानी सिर्फ पाकिस्तान के पाखंड की नहीं है, बल्कि इस बात की भी है कि कैसे अमेरिका और चीन जैसे बड़े देश अपने-अपने फायदे के लिए सच्चाई को नजरअंदाज कर देते हैं. नतीजा यह है कि जो देश आतंकवाद को पालता-पोसता रहा, वही आज खुद को आतंक का शिकार बताकर दुनिया से सहानुभूति बटोर रहा है, जबकि उसके आतंकी मॉड्यूल भारत को लगातार निशाना बना रहे हैं.

    FATF का कड़वा सच, जिसे भुला दिया गया

    साल 2018 से 2022 तक पाकिस्तान FATF (फाइनेंशियल एक्‍शन टास्‍क फोर्स) की ग्रे लिस्ट में रहा. वजह साफ थी कि उसके बैंक, मदरसों और खुफिया एजेंसियों से लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी संगठनों को पैसा और मदद मिल रही थी.

    अमेरिकी विदेश मंत्री रहे माइक पोम्पियो ने तब कहा था, ‘Pakistan continues to provide safe haven to terrorists and terrorist organisations. This has to stop.’

    लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट नहीं किया गया. क्यों? क्योंकि अमेरिका को अफगानिस्तान से अपनी सेना निकालने के लिए पाकिस्तान की जरूरत थी. दूसरी तरफ चीन हर बार FATF में पाकिस्तान को बचाता रहा, कहता रहा कि पाकिस्तान ‘तकनीकी सुधार’ कर रहा है. यही वजह रही कि आतंक खत्म न होने के बावजूद 2022 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकाल दिया गया.

    SCO RATS: आतंक से लड़ने का मंच, या मजाक?

    SCO-RATS की शुरुआत इस मकसद से हुई थी कि सदस्य देश आतंकवाद और कट्टरपंथ से मिलकर लड़ेंगे. लेकिन जब 2025 में पाकिस्तान इसका अध्यक्ष बना, तो इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो गए.

    आखिर जिस देश में मसूद अजहर और दाऊद इब्राहिम जैसे आतंकी पलते हों, वह आतंक से लड़ने वाले मंच की अगुवाई कैसे कर सकता है?

    भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार साफ कहा था, ‘दुनिया में भारत की तरह किसी और देश ने आतंकवाद का दंश नहीं सहा है, और दुनिया में पाकिस्‍तान की तरह किसी देश ने लगातार क्रॉस-बार्डर टेररिज्‍म को प्रमोट नहीं किया है.’

    फिर भी चीन पाकिस्तान को आगे बढ़ाता है और अमेरिका आंख मूंद लेता है. नतीजा-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ‘आतंक पीड़ित’ बन बैठा है.

    अमेरिका और चीन का पाखंड 

    अमेरिका का दोहरा रवैया- अमेरिका जानता है कि तालिबान ने पाकिस्तानी ठिकानों से अमेरिकी सैनिकों पर हमला किया. लेकिन इसके बावजूद उसने पाकिस्तान को ‘मेजर नॉन-नाटो एलाय’ बनाए रखा और अरबों डॉलर की मदद भी दी. जब भारत पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की बात करता है, तो अमेरिका इसे अक्सर ‘द्विपक्षीय मुद्दा’ कहकर टाल देता है.

    अमेरिकी सीनेटर लिंडसे ग्राहम का बयान याद आता है, ‘Pakistan is playing a double game. They are both the arsonist and the firefighter in Afghanistan.’

    अब तो राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप पाकिस्‍तान के आर्मी चीफ को व्‍हाइट हाउस में खाने पर बुलाते हैं, यह जानते हुए कि अफगानिस्‍तान में अमेरिका के पैर उखाड़ने में पाकिस्‍तान ने तालिबान का साथ दिया. और ओसामा बिन लादेन ने पाक आर्मी के एक गैरिसन अबोटाबाद में ही मारा गया.

    चीन का रणनीतिक खेल:

    चीन बार-बार संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तानी आतंकियों को ‘वैश्विक आतंकी’ घोषित करने के प्रस्तावों को रोकता रहा. वजह साफ है-जैश और लश्कर चीन के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ काम करते हैं.

    एक चीनी राजनयिक का बयान था, ‘Pakistan is our iron brother, and we will stand by it on every forum.’

    यानी आतंकवाद पर चीन की नीति साफ है- भारत को रोकना और पाकिस्तान को ढाल बनाना.

    पाकिस्तान की चालाकी: ‘आतंक पीड़ित’ की कहानी

    पाकिस्तान ने हाल के सालों में खुद को आतंक का ‘शिकार’ बताना शुरू कर दिया है. अफगान तालिबान की वापसी के बाद जब पाकिस्तानी तालिबान (TTP) ने पाकिस्तान के अंदर हमले बढ़ाए, तो इस नैरेटिव को और ताकत मिली.

    पूर्व अमेरिकी राजदूत रिचर्ड होलब्रुक ने सालों पहले ही चेतावनी दी थी, ‘Pakistan plays the victim, but it is also the sponsor. It runs with the hares and hunts with the hounds.’

    यानी पाकिस्तान ‘अच्छे आतंकियों’ (जिनका निशाना भारत है) और ‘बुरे आतंकियों’ (जो पाकिस्तान पर हमला करते हैं) में फर्क करता है.

    भारत सबसे बड़ा निशाना

    पाकिस्तान चाहे जितना खुद को पीड़ित बताए, उसके आतंकी नेटवर्क लगातार भारत पर हमला करने में जुटे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा था: ‘आतंकियों को जो भी पनाह दे रहे हैं वे वे दूसरों को ही नहीं, खुद को भी खतरे में डाल रहे  हैं. आतंकवाद पूरी मानवता का दुश्‍मन है.’

    लेकिन पश्चिमी दुनिया इस सच्चाई को मानने के बजाय पाकिस्तान की ‘पीड़ित’ वाली छवि को तवज्जो देती है.

    जिओ-पॉलिटिक्‍स का खूनी खेल

    आज की दुनिया में आतंकवाद को सार्वभौमिक समस्या नहीं, बल्कि राजनीतिक नज़रिए से देखा जाता है. किसी देश को ‘आतंक प्रायोजक’ या ‘आतंक पीड़ित’ घोषित करने का आधार उसके अपराध नहीं, बल्कि उसका सामरिक महत्व होता है.

    पाकिस्तान इसी खेल का उस्ताद बन चुका है. अमेरिका के लिए वह अफगानिस्तान से निकलने का दरवाज़ा था. चीन के लिए वह भारत को उलझाने का औजार है. अपने लिए वह ‘पीड़ित’ का मुखौटा है. 

    भारतीय सुरक्षा विशेषज्ञ अजय साहनी ने सही कहा है, ‘पाकिस्‍तान ने आतंकवाद को अपनी स्‍टेट पॉलि‍सी में हथियार की तरह इस्‍तेमाल किया है. और अफसोस कि दुनिया इसे स्‍वीकार करने में आनाकानी करती है.’

    पाखंड बेनकाब करना जरूरी

    पाकिस्तान का सफर FATF ग्रे लिस्ट से SCO RATS की अध्यक्षता मिलने तक सुधार की नहीं, बल्कि दुनिया की पाखंडी राजनीति की कहानी है. यह दिखाता है कि अमेरिका और चीन अपने-अपने फायदे के लिए वैश्विक संस्थानों का इस्तेमाल करते हैं, भले ही आतंक फैलाने वाले देश को ही सम्मान क्यों न मिल जाए.

    भारत के लिए चुनौती दोहरी है- जमीन पर आतंक से लड़ना और दुनिया को यह दिखाना कि पाकिस्तान का ‘आतंक पीड़ित’ चेहरा झूठा है. जब तक दुनिया यह स्वीकार नहीं करेगी कि पाकिस्तान फायरफाइटर नहीं, बल्कि खुद आग लगाने वाला है, तब तक आतंक के खिलाफ वैश्विक लड़ाई अधूरी रहेगी.

    —- समाप्त —-



    Source link

    Latest articles

    John Connors’ Oldenburg-Bound ‘Crazy Love’ Keeps Up a Fantastic Run of Form for Irish Cinema: “We Hit Above Our Weight”

    John Connors doesn’t have a writing credit on the Oldenburg-bound mental health romance...

    Charlie Kirk’s X account says he faced thousands of threats throughout his life

    Turning Point USA said on Thursday it is “crushed and devastated” by the...

    Iconic Beggars Banquet Label Subject of New Music History Podcast Featuring Gary Numan & More

    Beggars Banquet, the legendary British punk-era imprint, is the focus of a new...

    More like this

    John Connors’ Oldenburg-Bound ‘Crazy Love’ Keeps Up a Fantastic Run of Form for Irish Cinema: “We Hit Above Our Weight”

    John Connors doesn’t have a writing credit on the Oldenburg-bound mental health romance...

    Charlie Kirk’s X account says he faced thousands of threats throughout his life

    Turning Point USA said on Thursday it is “crushed and devastated” by the...