भारतीय सेना के प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शुक्रवार को ‘Operation Sindoor: Before and Beyond’ किताब के विमोचन कार्यक्रम में भारतीय सेना की भूमिका की सराहना की और कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने बेहतरीन रिस्पॉन्स दिया गया. उन्होंने स्पष्ट किया कि पाकिस्तान के साथ 10 मई को शत्रुता समाप्त होने के बावजूद युद्ध वहीं खत्म नहीं हुआ.
जनरल द्विवेदी ने कहा, “आप सोच रहे होंगे कि 10 मई को युद्ध खत्म हो गया. नहीं! यह लंबे समय तक जारी रहा क्योंकि कई फैसले लेने बाकी थे. हर एक एक्शन और नॉन-एक्शन के लंबे समय तक प्रभाव रहे.” उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह तय करना बड़ा सवाल था कि कब शुरुआत करनी है, कब रोकना है, कितनी ताकत और संसाधन लगाना है.
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7 मई को पहलगाम आतंकी हमले (जिसमें 26 लोगों की जान गई) के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया. सेना ने आतंकी ठिकानों पर सटीक जवाबी कार्रवाई की. जनरल द्विवेदी ने बताया कि दिग्गजों से सलाह ली गई और कई विकल्पों पर चर्चा हुई. उन्होंने कहा कि हर फैसला, चाहे वह एक्शन हो या नॉन-एक्शन, भविष्य को प्रभावित करने वाला था.
88 घंटे तक वेव की तरह चला ऑपरेशन
आर्मी चीफ ने कहा कि भारतीय सेना की टीमवर्क की तारीफ करते हुए कहा, “पूरा ऑपरेशन एक वेव की तरह चला. 88 घंटों तक किसी को अलग से प्लानिंग या आदेश का इंतजार नहीं करना पड़ा. हर कोई सिनर्जाइज्ड था और अपना काम जानता था.”
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में आर्मी चीफ ने कहा कि यह एक तरह से “अनकही कहानी” थी. उन्होंने कहा, “और जैसा कि आप जानते हैं, गलती से जब दूसरी तरफ से लिस्ट आई कि कितनों को मरणोपरांत अवॉर्ड दिया जा रहा है, तो मैं कह सकता हूं कि इसका ज्यादातर श्रेय लाइन ऑफ कंट्रोल को जाता है.” यह हाल ही की उन रिपोर्ट्स की ओर इशारा था जिनमें कहा गया था कि पाकिस्तानी सैनिकों के एक समूह को मरणोपरांत अवॉर्ड दिया जाना है.
सुप्रा-स्टैटेजिक से लेकर टैक्टिकल स्तर तक की बातें
जनरल द्विवेदी ने आगे कहा, “यही से शुरुआत हुई. यहां तक कि जब हमें एक छोटा-सा अंश मिला तो उसमें लिखा था, ‘बहुत हुआ, फाइल छोड़ो, जल्दी से मुजफ्फराबाद भागो’ यही वह हमला था, वही फायर असॉल्ट था जो हुआ.” उन्होंने कहा कि यह किताब मिलिट्री ऑपरेशन से जुड़े सभी पहलुओं को बेहद स्पष्ट ढंग से पेश करती है.
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आर्मी चीफ ने कहा, “यह किताब पूरी तरह तथ्यों पर आधारित है और इसमें सुप्रा-स्टैटेजिक से लेकर टैक्टिकल स्तर तक की बातें शामिल हैं. इतनी छोटी किताब में इन सभी पहलुओं को कवर करना बहुत कठिन काम है, लेकिन लेखक ने इसे बखूबी एक साथ जोड़ा है.”
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