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    आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल बने नीरज चोपड़ा को कितनी मिलेगी सैलरी-सुविधाएं, क्या ट्रेनिंग भी होगी?

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    ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट और भारत के गौरव नीरज चोपड़ा को भारतीय सेना की टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद उपाधि दी गई है. भाला फेंक (जेवेलिन थ्रो) में दुनिया के टॉप एथलीट्स में शुमार नीरज ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में गोल्ड और पेरिस ओलंपिक 2024 में सिल्वर मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था. अब सेना ने उनके योगदान को सम्मानित करते हुए यह बड़ा सम्मान दिया है. आइए, जानते हैं कि नीरज को इस पद के लिए ट्रेनिंग लेनी होगी या नहीं, उनकी सैलरी और सुविधाएं क्या होंगी.

    नीरज चोपड़ा ने न केवल खेल में भारत का नाम रोशन किया, बल्कि सेना के साथ जुड़कर युवाओं के लिए मिसाल कायम की. उनकी मानद लेफ्टिनेंट कर्नल की उपाधि इस बात का सबूत है कि सेना अपने खिलाड़ियों की उपलब्धियों को कितना सम्मान देती है. नीरज की कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो खेल और देश सेवा में करियर बनाना चाहते हैं.

    नीरज चोपड़ा की ऐतिहासिक उपलब्धियां
    नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक 2021 में भाला फेंक में 87.58 मीटर का थ्रो कर गोल्ड मेडल जीता था. वे भारत के पहले ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बने, जिन्होंने ओलंपिक में व्यक्तिगत गोल्ड मेडल हासिल किया. उनकी इस उपलब्धि ने भारत का 100 साल का इंतजार खत्म किया और देश को एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक गोल्ड दिलाया. इसके बाद, पेरिस ओलंपिक 2024 में उन्होंने 89.45 मीटर के थ्रो के साथ सिल्वर मेडल जीता, जिससे वे दो ओलंपिक मेडल जीतने वाले पांचवें भारतीय एथलीट बने. नीरज को 2016 में भारतीय सेना में नायब सूबेदार के रूप में भर्ती किया गया था और बाद में उनकी उपलब्धियों के लिए सूबेदार मेजर तक प्रमोशन मिला.

    क्या नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी में ट्रेनिंग लेनी होगी?
    नीरज चोपड़ा को टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की मानद (Honorary) उपाधि दी गई है. इसका मतलब है कि यह एक सम्मानजनक रैंक है, जो उनकी खेल उपलब्धियों के लिए दी गई है. आमतौर पर टेरिटोरियल आर्मी में ऑफिसर्स को ट्रेनिंग अनिवार्य होती है, लेकिन मानद रैंक वाले व्यक्तियों, खासकर मशहूर खिलाड़ियों या हस्तियों (जैसे नीरज चोपड़ा, एमएस धोनी) के लिए ट्रेनिंग जरूरी नहीं होती.

    नीरज पहले से ही 2016 में भारतीय सेना में नायब सूबेदार के रूप में भर्ती हो चुके थे और आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट (ASI), पुणे में ट्रेनिंग ले चुके हैं. यह ट्रेनिंग खेल से संबंधित थी, न कि सैन्य. उनकी नई मानद रैंक के लिए अतिरिक्त सैन्य ट्रेनिंग की जरूरत नहीं होगी. उनकी भूमिका युवाओं को प्रेरित करना, सेना के प्रचार में योगदान देना, और समारोहों में हिस्सा लेना हो सकती है. 

    टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) क्या होती है?
    टेरिटोरियल आर्मी (TA) भारतीय सेना का एक स्वैच्छिक, अंशकालिक (part-time) संगठन है, जो उन नागरिकों को सेना में सेवा करने का मौका देता है जो पहले से ही किसी नौकरी या व्यवसाय में हैं. इसे “नागरिकों की सेना” (Citizens’ Army) भी कहा जाता है. यह नियमित सेना (Regular Army) का सहायक हिस्सा है और युद्ध, प्राकृतिक आपदा, या राष्ट्रीय संकट के समय सेना की मदद करती है. टेरिटोरियल आर्मी का मोटो है “सावधानी और वीरता” (Savdhani Va Veerta). टेरिटोरियल आर्मी का उद्देश्य TA युद्ध, आंतरिक सुरक्षा या आपातकाल में नियमित सेना की मदद करना है. 

    टेरिटोरियल आर्मी के सामान्य ट्रेनिंग नियम:

    • रिक्रूट ट्रेनिंग: पहले साल में 32-36 दिन की ट्रेनिंग, जिसमें वीकेंड्स और छुट्टियों पर 4 घंटे की ट्रेनिंग एक दिन मानी जाती है. इसमें कम से कम 4 दिन का कैंप शामिल होता है.
    • पोस्ट-कमिशन ट्रेनिंग: नए ऑफिसर्स को 10 हफ्ते की ट्रेनिंग इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA), देहरादून में करनी होती है. लेकिन मानद रैंक वालों को यह छूट दी जा सकती है.
    • वार्षिक ट्रेनिंग: कम से कम 36 दिन की ट्रेनिंग, जो 60 दिन तक बढ़ सकती है, जिसमें 14 दिन का कैंप शामिल होता है.
    • मानद रैंक के लिए छूट: नीरज जैसे खिलाड़ियों को ट्रेनिंग से छूट मिलती है, क्योंकि उनकी भूमिका प्रेरणादायक और प्रचारात्मक होती है, न कि सक्रिय सैन्य सेवा. उदाहरण के लिए, एमएस धोनी (लेफ्टिनेंट कर्नल, टेरिटोरियल आर्मी) और सचिन तेंदुलकर (ग्रुप कैप्टन, वायुसेना) को भी ऐसी छूट मिली थी.

    नीरज को सक्रिय सैन्य सेवा में शामिल होने की जरूरत नहीं होगी. उनकी भूमिका युवाओं को सेना और खेल के लिए प्रेरित करने और सेना के प्रचार में योगदान देने की होगी.

    सैलरी और सुविधाएं
    टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल की रैंक पर नियमित ऑफिसर्स को सातवें वेतन आयोग के तहत अच्छी सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन मानद रैंक वाले व्यक्तियों को आमतौर पर सैलरी नहीं दी जाती, क्योंकि वे सक्रिय सेवा में नहीं होते. फिर भी, अगर नीरज को कभी ट्रेनिंग या विशेष ड्यूटी के लिए बुलाया जाता है, तो उन्हें नियमित ऑफिसर जैसी सैलरी और सुविधाएं मिल सकती हैं. यह सिर्फ तब तक दी जा सकती है जब तक वे ऑन ड्यूटी रहेंगे. हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है.

    सैलरी स्ट्रक्चर (लेफ्टिनेंट कर्नल, नियमित सेवा):

    • बेसिक पे: ₹1,21,200 – ₹2,12,400 प्रति माह (लेवल 12A, सातवां वेतन आयोग).
    • अलाउंस: डियरनेस अलाउंस (DA, 50% तक), हाउस रेंट अलाउंस (HRA, 8-24%), ट्रैवल अलाउंस, और मेडिकल सुविधाएं.
    • टोटल इन-हैंड सैलरी: ₹1,50,000 – ₹2,00,000 प्रति माह, शहर और अलाउंस पर निर्भर.
    • अतिरिक्त सुविधाएं: मुफ्त रेलवे पास, सेना के कैंटीन (CSD) की सुविधा, मेडिकल सुविधाएं, और परिवार के लिए आवास.

    मानद रैंक की सुविधाएं
    नीरज को मानद रैंक के तौर पर सेना की वर्दी पहनने का अधिकार, समारोहों में शामिल होने की सुविधा, और सेना की कुछ सुविधाएं (जैसे CSD, मेडिकल) मिल सकती हैं. टेरिटोरियल आर्मी में पेंशन के लिए ऑफिसर्स को 20 साल की सक्रिय सेवा चाहिए. क्योंकि नीरज मानद रैंक पर हैं, उन्हें पेंशन नहीं मिलेगी.



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