मध्य प्रदेश के महू में आर्मी वॉर कॉलेज में 27 अगस्त 2025 को ‘रण संवाद’ कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारतीय सशस्त्र बलों को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया. उन्होंने कहा कि आज की दुनिया में युद्ध अप्रत्याशित और लंबे हो सकते हैं. इसलिए, सेनाओं को छोटे संघर्षों से लेकर पांच साल तक चलने वाले लंबे युद्ध के लिए पूरी तरह तैयार रहना होगा.
सिंह ने कहा कि युद्ध कितने समय तक चलेगा, यह अनुमान लगाना मुश्किल है. अगर कोई युद्ध दो महीने, चार महीने, एक साल, दो साल या पांच साल तक चले, तो हमारी तैयारी पूरी होनी चाहिए. यह बयान ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद आया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था.
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सिंह ने जोर दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा अब केवल सैन्य का विषय नहीं, बल्कि ‘पूरे राष्ट्र का दृष्टिकोण’ है. भारत किसी की जमीन नहीं चाहता, लेकिन अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक तैयार है.
आइए समझते हैं कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना को क्या-क्या तैयारियां करनी चाहिए? ये तैयारियां स्वदेशीकरण, तकनीकी एकीकरण, इंटीग्रेशन और लॉजिस्टिक्स पर आधारित होंगी, ताकि भविष्य के युद्धों में भारत मजबूत रहे.
पांच-वर्षीय युद्ध लक्ष्य का मतलब: क्यों जरूरी है ऐसी तैयारी?
आज की भू-राजनीतिक स्थिति अनिश्चित है. रूस-यूक्रेन युद्ध दो साल से चल रहा है, जबकि इजरायल-हमास संघर्ष लंबा खिंच गया. चीन के साथ सीमा विवाद और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से भारत को भी लंबे संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने स्वदेशी हथियारों की ताकत दिखाई, लेकिन आत्मनिर्भरता की राह अभी लंबी है. पांच-वर्षीय युद्ध का लक्ष्य मतलब है कि सेनाओं को लंबे समय तक टिकाऊ, लचीली और तकनीकी रूप से उन्नत बनना होगा.
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इसके लिए ‘जॉइंटनेस’ (तीनों सेनाओं का समन्वय), ‘इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड’ (क्षेत्रीय कमान) और उभरती तकनीकों जैसे AI, साइबर और स्पेस वॉरफेयर पर फोकस जरूरी है. 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया गया है, जिसमें थिएटर कमांड स्थापित करने का लक्ष्य है.
भारतीय सेना की तैयारी: जमीन पर मजबूत नींव
भारतीय सेना, जो 1.4 मिलियन सैनिकों वाली दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी सेना है, को लंबे युद्ध के लिए स्टॉकपाइलिंग, मोबिलिटी और इन्फैंट्री मॉडर्नाइजेशन पर ध्यान देना होगा. मुख्य तैयारियां…
- हथियारों और गोला-बारूद का भंडारण: पांच साल के युद्ध के लिए कम से कम 30-40 दिनों का स्टॉक (अभी 10-15 दिनों का है). स्वदेशी तोपें जैसे धनुष, अटैक गन ATAGS और मिसाइलें (ब्रह्मोस, पिनाका) बढ़ानी होंगी. अग्नि-5 जैसे बैलिस्टिक मिसाइलों का परीक्षण जारी रखें.
- सीमा बुनियादी ढांचा: LAC (चीन सीमा) और LoC (पाकिस्तान) पर 73,000 किमी सड़कें और 400 से अधिक पुल बन चुके हैं, लेकिन 2025-2030 तक और 10,000 किमी सड़कें बनानी होंगी. हाई-एल्टीट्यूड एरिया में ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से निगरानी बढ़ाएं.
- सैनिक प्रशिक्षण और संयुक्तता: थिएटर कमांड के तहत आर्मी को नेवी और एयरफोर्स के साथ जॉइंट एक्सरसाइज बढ़ानी होंगी. साइबर वॉरफेयर और ड्रोन युद्ध पर ट्रेनिंग दें. 2025 में 1 लाख सैनिकों को AI और रोबोटिक्स ट्रेनिंग का लक्ष्य.
- स्वदेशीकरण: 75% खरीद बजट स्वदेशी पर. कावेरी इंजन और AMCA जैसे प्रोजेक्ट तेज करें. लक्ष्य: 2029 तक रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये.
ये तैयारियां सेना को लंबे संघर्ष में टिकाऊ बनाएंगी, जैसे ऑपरेशन सिंदूर में जहां स्वदेशी हथियारों ने सफलता दिलाई.
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भारतीय नौसेना की तैयारी: समुद्री सीमाओं की रक्षा
भारतीय नौसेना, जो हिंद महासागर में चीन की बढ़ती मौजूदगी का सामना कर रही है, को ब्लू वाटर नेवी (गहरे समुद्र की क्षमता) पर फोकस करना होगा. मुख्य तैयारियां…
- जहाज और पनडुब्बी बेड़ा बढ़ाना: 2025 तक 200 युद्धपोतों का लक्ष्य (अभी 150). INS उदयगिरी और हिमगिरी जैसे स्टेल्थ फ्रिगेट्स को शामिल करें. परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत और स्कॉर्पीन क्लास को अपग्रेड करें. 2030 तक 5 परमाणु पनडुब्बियां.
- मिसाइल और सबमरीन डिफेंस: ब्रह्मोस, निर्भय क्रूज मिसाइलें और S-400 सिस्टम से लैस करें. चाइना की स्ट्रिंग ऑफ पर्ल्स (पाकिस्तान, श्रीलंका में बेस) के खिलाफ QUAD (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ जॉइंट पेट्रोलिंग बढ़ाएं.
- लॉजिस्टिक्स और ट्रेनिंग: लंबे युद्ध के लिए ईंधन स्टॉक (6 महीने का) और चालक दल ट्रेनिंग. स्पेस और साइबर डोमेन में नौसेना को शामिल करें, जैसे सैटेलाइट-बेस्ड नेविगेशन.
- स्वदेशीकरण: 75% स्वदेशी सामग्री. 2025 में 7 नए युद्धपोत कमीशन. निर्यात लक्ष्य: 50000 करोड़.
नौसेना को हिंद महासागर में चीन के खिलाफ लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा, जहां ऑपरेशन सिंदूर में नौसेना की भूमिका महत्वपूर्ण थी.
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भारतीय वायुसेना की तैयारी: आकाश में वर्चस्व
भारतीय वायुसेना (IAF), जो स्क्वाड्रन (विमान दस्तों) की कमी से जूझ रही है, को 42 स्क्वाड्रन का लक्ष्य हासिल करना होगा. मुख्य तैयारियां…
- फाइटर जेट और ड्रोन: तेजस Mk-1A, राफेल और AMCA स्टेल्थ फाइटर खरीदें. 2025 तक 114 MRFA (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) का निर्णय लें. MQ-9B ड्रोन और स्वदेशी ड्रोन (DRDO) बढ़ाएं.
- हवाई रक्षा और मिसाइल: S-400, MRSAM और आकाश मिसाइल सिस्टम को एकीकृत करें. IADWS (इंटीग्रेटेड एयर डिफेंस वेपन सिस्टम) जैसे स्वदेशी सिस्टम तैनात करें. स्पेस वॉरफेयर के लिए ASAT (एंटी-सैटेलाइट) क्षमता मजबूत करें.
- ट्रेनिंग और जॉइंट ऑपरेशंस: पायलटों को AI, हाइपरसोनिक और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर ट्रेनिंग दें. थिएटर कमांड में वायुसेना को आर्मी-नेवी के साथ समन्वय बढ़ाएं. 2025 में 5,000 पायलट ट्रेनिंग का लक्ष्य.
- स्वदेशीकरण: HAL और DRDO से जेट इंजन (कावेरी) विकसित करें. 2029 तक निर्यात 50,000 करोड़.
वायुसेना को लंबे युद्ध में हवाई वर्चस्व बनाए रखना होगा, जैसे ऑपरेशन सिंदूर में MiG-29 और राफेल ने भूमिका निभाई.
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तीनों सेनाओं की साझा तैयारियां
- संयुक्त प्रशिक्षण: रण संवाद जैसे सेमिनारों से जॉइंट डॉक्ट्रिन बनाएं. AI, साइबर, स्पेस और क्वांटम तकनीक पर फोकस. 2025 में 10,000 सैनिकों को AI ट्रेनिंग.
- लॉजिस्टिक्स और सप्लाई चेन: लंबे युद्ध के लिए ईंधन, गोला-बारूद और मेडिकल स्टॉक. ‘वन नेशन वन मार्केट’ से स्वदेशी सप्लाई बढ़ाएं.
- साइबर और स्पेस डिफेंस: साइबर अटैक (जैसे चाइना के) से बचाव. स्पेस कमांड स्थापित करें.
- मानव संसाधन: सैनिकों का मनोबल ऊंचा रखें. महिलाओं की भागीदारी बढ़ाएं (अभी 10%).
ऑपरेशन सिंदूर ने साबित किया कि स्वदेशी हथियार काम करते हैं, लेकिन लंबी राह बाकी है. तीनों सेनाओं को तकनीक, संयुक्तता और स्टॉकपाइलिंग पर फोकस करना होगा. 2025 सुधारों का वर्ष है, जहां थिएटर कमांड और AI पर जोर होगा. इससे भारत न केवल अपनी रक्षा करेगा, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति का संदेश देगा. रक्षा बजट 2025-26 में 6.2 लाख करोड़ है, जो इन तैयारियों को गति देगा.
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