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    कई लेयर से निगरानी, लेजर गाइडेड अटैक की क्षमता… स्वदेशी IADWS एयर डिफेंस सिस्टम क्यों है खास?

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    ओडिशा के तट पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया. इस स्वदेशी प्रणाली ने तीन अलग-अलग लक्ष्यों को विभिन्न ऊंचाइयों और दूरी पर एक साथ नष्ट करके अपनी ताकत दिखाई.

    यह प्रणाली भारत के महत्वपूर्ण ठिकानों को हवाई हमलों से बचाने के लिए बनाई गई है. इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस पर घोषित ‘सुदर्शन चक्र’ रक्षा कवच का हिस्सा माना जा रहा है.

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    IADWS क्या है?

    IADWS यानी Integrated Air Defence Weapon System एक मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस सिस्टम है, जो पूरी तरह से स्वदेशी तकनीकों से बनी है. यह प्रणाली तीन मुख्य हथियारों को एकीकृत करती है…

    क्विक रिएक्शन सरफेस टू एयर मिसाइल (QRSAM)

    यह छोटी दूरी की मिसाइल प्रणाली है, जो तेजी से प्रतिक्रिया देती है. इसका मुख्य काम सेना की टुकड़ियों को दुश्मन के हवाई हमलों से बचाना है. यह 3 से 30 km की दूरी तक लक्ष्य को नष्ट कर सकती है. यह प्रणाली पूरी तरह से मोबाइल है. चलते-फिरते भी हमला कर सकती है. इसमें दो रडार—एक्टिव ऐरे बैटरी सर्विलांस रडार और एक्टिव ऐरे बैटरी मल्टीफंक्शन रडार शामिल हैं, जो 360 डिग्री निगरानी और ट्रैकिंग कर सकते हैं.

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    वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम (VSHORADS)

    यह एक चौथी पीढ़ी का मैन-पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम (MANPADS) है, जिसे सैनिक आसानी से कंधे पर ले जा सकते हैं. यह 300 मीटर से 6 किलोमीटर की दूरी तक ड्रोन, हेलीकॉप्टर और अन्य छोटे हवाई खतरों को नष्ट कर सकता है. यह भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.

    हाई पावर लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW)

    यह एक अत्याधुनिक लेजर हथियार है, जो ड्रोन और अन्य हवाई लक्ष्यों को 3 किलोमीटर से कम दूरी पर नष्ट कर सकता है. इस साल अप्रैल में DRDO ने इसकी जमीन आधारित संस्करण की सफलता दिखाई थी, जिसमें इसने ड्रोन को नष्ट किया. उनकी निगरानी प्रणालियों को अक्षम कर दिया. यह प्रणाली भारत को उन चुनिंदा देशों में शामिल करती है, जिनके पास ऐसी तकनीक है, जैसे अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन, जर्मनी और इज़रायल.

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    इन तीनों हथियारों का संचालन एक केंद्रीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर के जरिए होता है, जिसे DRDO की डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी (DRDL) ने विकसित किया है. VSHORADS और DEW को रिसर्च सेंटर इमारत (RCI) और सेंटर फॉर हाई एनर्जी सिस्टम्स एंड साइंसेज (CHESS) ने बनाया है, दोनों ही हैदराबाद में DRDO की सुविधाएं हैं.

    परीक्षण में क्या हुआ?

    23 अगस्त 2025 को ओडिशा के तट पर हुए इस पहले परीक्षण में IADWS ने अपनी ताकत दिखाई. इस दौरान तीन अलग-अलग लक्ष्य—दो हाई-स्पीड फिक्स्ड-विंग ड्रोन (UAV) और एक मल्टी-कॉप्टर ड्रोन—को एक साथ निशाना बनाया गया.

    QRSAM, VSHORADS और लेजर आधारित DEW ने इन लक्ष्यों को अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर पूरी तरह से नष्ट कर दिया. चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR) में तैनात उपकरणों ने उड़ान डेटा को रिकॉर्ड किया, जिसने पुष्टि की कि सभी हथियार प्रणालियां, रडार, ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम और कमांड-कंट्रोल सिस्टम ने बिना किसी खामी के काम किया.

    IADWS का रणनीतिक महत्व

    IADWS का सफल परीक्षण भारत की स्वदेशी रक्षा क्षमता में एक बड़ा कदम है. यह प्रणाली विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों जैसे ड्रोन, क्रूज मिसाइल, हेलीकॉप्टर और कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमान—को नष्ट करने में सक्षम है. इसकी रेंज 30 km तक है, जो इसे छोटी और मध्यम दूरी के खतरों से निपटने के लिए आदर्श बनाती है.

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    यह प्रणाली न केवल छोटी दूरी के खतरों को रोकती है, बल्कि भविष्य में इसे लंबी दूरी के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह सुदर्शन चक्र मिशन की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है. इसका उद्देश्य 2035 तक एक मजबूत, स्वदेशी रक्षा कवच विकसित करना है, जो निगरानी, साइबर सुरक्षा और भौतिक सुरक्षा को एकीकृत करेगा.

    लेजर हथियार: भारत की नई ताकत

    IADWS का सबसे खास हिस्सा इसका लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) है. यह हथियार ड्रोन और अन्य हवाई लक्ष्यों को तेजी से नष्ट कर सकता है. लेजर हथियारों की खासियत यह है कि वे प्रकाश की गति से हमला करते हैं. सटीक होते हैं. बार-बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं.

    इनकी लागत भी पारंपरिक हथियारों की तुलना में कम है. भारत का यह DEW अप्रैल 2025 में हुए एक प्रदर्शन में पहले ही अपनी ताकत दिखा चुका है, जब इसने ड्रोन को नष्ट किया और उनकी निगरानी प्रणालियों को अक्षम कर दिया. 

    एक चीनी विशेषज्ञ वांग यानान ने ‘ग्लोबल टाइम्स’ में कहा कि इस लेजर हथियार की असली ताकत युद्ध के मैदान में ही साबित होगी, क्योंकि पूर्व-निर्धारित परीक्षण परिदृश्य असल युद्ध की जटिलताओं को पूरी तरह नहीं दर्शाते. फिर भी, यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि लेजर हथियारों की तकनीक में महारत हासिल करने वाले देशों की सूची में अब भारत भी शामिल हो गया है.

    सुदर्शन चक्र: भारत का भविष्य

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर सुदर्शन चक्र की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि यह रक्षा कवच न केवल दुश्मन के हमलों को रोकेगा, बल्कि जवाबी हमला करने की ताकत भी रखेगा. IADWS इस मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह प्रणाली भारतीय वायुसेना के एकीकृत वायु कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) और सेना के आकाशतीर सिस्टम के साथ एकीकृत होने की संभावना है.

    भारत की रक्षा में क्यों जरूरी है IADWS?

    IADWS कई मायनों में भारत के लिए महत्वपूर्ण है…

    • स्वदेशी तकनीक: यह पूरी तरह से स्वदेशी है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को मजबूत करती है.
    • बहु-स्तरीय सुरक्षा: ड्रोन से लेकर हाई-स्पीड विमानों तक, हर तरह के हवाई खतरे को रोक सकती है.
    • लचीलापन: QRSAM, VSHORADS और DEW का संयोजन इसे छोटी और मध्यम दूरी के खतरों के लिए प्रभावी बनाता है.
    • कम लागत: लेजर हथियारों की लागत कम होती है. ये बार-बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं, जिससे यह प्रणाली लागत-प्रभावी है.
    • वैश्विक स्थान: लेजर हथियारों के साथ भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जो इस उन्नत तकनीक में महारत रखते हैं.

    आगे की राह

    IADWS का यह पहला परीक्षण भारत की रक्षा क्षमता को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रतीक है. यह प्रणाली न केवल वर्तमान खतरों से निपटने में सक्षम है, बल्कि भविष्य में और एडवांस बनाई जा सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रणाली की असली ताकत तब सामने आएगी, जब इसे जटिल युद्ध परिदृश्यों में आजमाया जाए. यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो इसे वैश्विक रक्षा तकनीक में अग्रणी बनाता है.

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