वोटर अधिकार यात्रा में एक दिन ब्रेक के दौरान राहुल गांधी दिल्ली आ गये थे. विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के सम्मान में आयोजित समारोह में राहुल गांधी शामिल हुए, और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जिक्र करते हुए कहा कि उनके इस्तीफे के पीछे एक कहानी है.
कहानी तो है. लेकिन, कहानी क्या है, ये भी एक रहस्य है. ये सवाल राहुल गांधी से पहले कपिल सिब्बल भी उठा चुके हैं, जगदीप धनखड़ कहां हैं? जैसे राहुल गांधी कहानी की बात कर रहे हैं, कपिल सिब्बल ‘लापता लेडिज’ का नाम लेकर अपनी बात समझाने की कोशिश कर रहे थे.
बेशक जगदीप धनखड़ का मामला उपराष्ट्रपति चुनाव में केंद्र में सत्ताधारी बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा करने लायक है, लेकिन कितना असरदार हो सकता है, ये तो वो भी जानते होंगे. बल्कि बेहतर जानते होंगे. विपक्ष की राजनीति के हिसाब से उपराष्ट्रपति चुनाव भी विपक्ष को एकजुट करने के काम आ सकता है. और, SIR (विशेष गहन पुनरीक्षण) की तरह विपक्ष के उम्मीदवार का सपोर्ट करके अरविंद केजरीवाल ने ये संकेत भी दे दिया है.
मुद्दे की बात ये है कि राहुल गांधी किसी कहानी की तरफ इशारा भर कर रहे हैं, या उनके पास सुनाने के लिए कोई कहानी भी है. वो कहानी उनके पुराने दावों ‘भूकंप’ और ‘एटम बम’ जैसी ही है, या उससे आगे की?
‘लापता लेडीज’ और ‘कहानी’ के बीच घूमती राजनीति
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का जिक्र करते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल पूछ रहे हैं, राज्यसभा में जिनकी आवाज गूंजती थी वो अचानक से चुप हो गए हैं, पूरी तरह से चुप!
राहुल गांधी कहते हैं, ‘ये बात सभी जानते हैं’ – ‘और पूछते हैं, भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति आखिर छिपे हुए क्यों हैं? क्यों ऐसी नौबत आ गई कि वह बाहर आकर एक शब्द भी नहीं बोल सकते? सोचिए, हम कैसे समय में जी रहे हैं?’
कुछ ही दिन पहले राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी जगदीप धनखड़ के मामले में सवाल उठाया था. कपिल सिब्बल पहले कांग्रेस में ही थे, केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं और फिलहाल बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं. राज्यसभा सांसद तो वो निर्दल हैं, लेकिन अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी ने उनका सपोर्ट किया था.
कपिल सिब्बल ने हाल ही में कहा था, हमने तो ‘लापता लेडीज’ के बारे में सुना था, लेकिन ‘लापता वाइस प्रेसिडेंट’ के बारे में पहली बार पता लगा है. जगदीप धनखड़ की चर्चा करते हुए कपिल सिब्बल ने बताया था, मैंने पहले दिन उनके पीएस को फोन किया, तो बताया गया कि वो आराम कर रहे हैं… उसके बाद से कोई बातचीत नहीं हुई… न उनकी लोकेशन का पता है, न कोई आधिकारिक सूचना मिली है.
विपक्षी दलों से जगदीप धनखड़ की सुरक्षा का ध्यान रखने की अपील करते हुए, कपिल सिब्बल ने पूछा, अब हमें क्या करना चाहिए? क्या हमें हैबियस-कॉर्पस याचिका दायर करनी पड़ेगी? कपिल सिब्बल ने बताया कि जगदीप धनखड़ उनके करीबी दोस्त रहे हैं, कई केस वे साथ में लड़े हैं. और फिर कहते हैं, अगर हमें एफआईआर दर्ज करानी पड़े तो ये अच्छा नहीं लगेगा.
केंद्र की बीजेपी सरकार पर कटाक्ष करते हुए कपिल सिब्बल ने कहा था, आप बांग्लादेशियों को तो एक जगह से दूसरी जगह खोज लेते हैं, मुझे यकीन है कि आप उन्हें भी ढूंढ लेंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनडीए की बैठक में उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन की तारीफ करते हुए कहा था कि वो अच्छे खिलाड़ी रहे हैं, लेकिन राजनीति में खेल नहीं करते. प्रधानमंत्री मोदी का ये बयान निश्चित तौर पर जगदीप धनखड़ केस पर ही टिप्पणी थी.
उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष और उसका दावा
9 सितंबर को होने जा रहे उपराष्ट्रपति चुनाव में दो ही उम्मीदवारों के नाम सामने आए हैं. एनडीए की ओर से तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष रहे महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन हैं, तो विपक्ष की ओर से रिटायर्ड जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी हैं. ये भी साफ है कि सत्ता पक्ष के संख्या बल के आगे विपक्ष के लिए चुनाव जीत पाना संभव नहीं, लेकिन विपक्ष में होने का धर्म भी तो निभाना ही पड़ता है. और, राजनीतिक धर्म के भी रीति-रिवाज होते हैं, राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष फिलहाल खुद को ऐसी ही भूमिका में देख रहा है, और उसीके हिसाब से कदम बढ़ा रहा है.
विपक्षी खेमे के एक पार्टनर शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने बताया है कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उनके नेता उद्धव ठाकरे को फोन किया था. संजय राउत ने ये तो नहीं बताया कि ये फोन कब आये थे, लेकिन ये जरूर कहा, राजनाथ सिंह और देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे को फोन किया और उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन के पक्ष में मतदान करने का अनुरोध किया… दूसरों को भी फोन किया होगा… ये उनका काम है.
और फिर, संजय राउत ने सवाल उठाया, अगर एनडीए को संसद में बहुमत का भरोसा है, तो विपक्षी नेताओं से संपर्क करने की मजबूरी क्यों पड़ी? संजय राउत का कहना है कि ये साफ संकेत है कि एनडीए की स्थिति उतनी मजबूत नहीं है जितनी दिखाने की कोशिश की जा रही है.
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