अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के बीच 15-16 अगस्त की दरमियानी रात हुई मुलाकात तो बेनतीजा रही लेकिन इस मुलाकात को पुतिन की कूटनीतिक जीत माना जा रहा है. ट्रंप मुलाकात से पहले जहां बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे और पुतिन को किसी समझौते पर पहुंचने की धमकी दे रहे थे, मुलाकात के दौरान वो पुतिन के सामने कमजोर दिखे. ट्रंप प्रशासन रूसी राष्ट्रपति को युद्ध खत्म करने के लिए मनाने पर राजी तो नहीं कर पाया और अब बड़े-बड़े दावे कर रहा है जिसमें अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम भी शामिल हैं.
ग्राहम ने दावा किया कि अगर अमेरिका रूस के ग्राहकों के पीछे पड़ गया तो वो सस्ता रूसी तेल और गैस के बजाए अमेरिकी अर्थव्यवस्था को चुनेंगे. ग्राहम में ट्रंप के उस दावे को दोहराते हुए कहा कि पुतिन अलास्का इसलिए आए क्योंकि ट्रंप ने रूसी तेल और गैस खरीदने पर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी.
फॉक्स न्यूज को दिए एक इंटरव्यू में दक्षिण कैरोलिना से रिपब्लिकन सांसद लिंडसे ग्राहम ने कहा, ‘पुतिन के अलास्का में होने की एकमात्र वजह ये है कि ट्रंप ने रूसी तेल और गैस खरीदने पर भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. पुतिन अलास्का यह देखने तो नहीं आए थे कि अलास्का को बेचने के बाद उसकी स्थिति कैसी है.’
रूस ने 30 मार्च 1876 को 72 लाख डॉलर में अलास्का अमेरिका को बेच दिया था.
‘अगर चुनने की बात हो तो भारत अमेरिकी अर्थव्यवस्था चुनेगा’
इंटरव्यू में लिंडसे ने आगे कहा कि रूस की कमजोरी यह है कि उसकी लगभग सारी आय दूसरे देशों को तेल और गैस की बिक्री से आती है. उन्होंने कहा, ‘अगर हम रूस के ग्राहकों (भारत, चीन) से कहें कि उन्हें अमेरिकी अर्थव्यवस्था और सस्ते रूसी तेल या गैस में से किसी एक को चुनना है, तो वे अमेरिकी अर्थव्यवस्था को चुनेंगे.’
इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि पुतिन बातचीत की टेबल पर इसलिए आए क्योंकि अमेरिका ने भारत के रूसी तेल आयात पर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दी थी.
ट्रंप ने भारत और चीन का हवाला देते हुए कहा था, ‘जब आप अपना दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक (चीन) खो देते हैं, और संभवतः आप अपना पहला सबसे बड़ा ग्राहक (भारत) भी खोने जा रहे हैं, तो मुझे लगता है कि इसमें इसकी भी भूमिका है.’
ट्रंप को रुबियो को ग्राहम का सीनेटर सुझाव
इसी दौरान ग्राहम ने यह भी कहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए अमेरिका को रूस के खिलाफ अपनी आर्थिक शक्ति का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से रूसी तेल खरीदने वाले देशों पर टैरिफ बढ़ाने का आग्रह किया.
उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप और विदेश मंत्री मार्को रुबियो को मेरी सलाह है कि आपको पुतिन को यह समझाना होगा कि अगर वो न्यायपूर्ण तरीके से युद्ध खत्म करने पर राजी नहीं होते तो हम रूसी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देंगे. हमारे पास ऐसा करने की ताकत है.’
अमेरिकी वित्त मंत्री की भारत को टैरिफ की धमकी
पुतिन-ट्रंप की मुलाकात से पहले अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा था कि अगर बातचीत नाकाम रहती है तो भारत पर सेकंडरी टैरिफ बढ़ सकता है. उन्होंने कहा था, ‘हमने रूसी तेल खरीदने को लेकर भारत पर पहले ही सेकंडरी टैरिफ लगा दिए हैं. अगर हालात ठीक नहीं रहे तो प्रतिबंध या सेकंडरी टैरिफ बढ़ाए जा सकते हैं.’
इसी महीने की शुरुआत में भारत पर अमेरिका का 25% टैरिफ लागू हो गया था. इस 25% के अलावा भी ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 25% का टैरिफ लगाया है जो 27 अगस्त से लागू हो सकता है. इसी के साथ ही भारत 50% टैरिफ के साथ अमेरिका की तरफ से सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है.
ट्रंप प्रशासन जहां एक तरफ दावा कर रहा है कि भारत पर लगा टैरिफ कारगर रहा है वहीं, दूसरी तरफ भारत ने रूसी तेल की खरीद पर किसी तरह की रोक लगाने से इनकार किया है. भारत ने ट्रंप के टैरिफ को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया दी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी टैरिफ को अनुचित और अविवेकपूर्ण बताया है. पीएम मोदी का कहना है कि आर्थिक दबाव के बावजूद, भारतीय किसानों और मछुआरों के हितों से समझौता नहीं किया जाएगा.
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