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    Operation Sindoor: 600 आतंकी, विदेशी चंदा… बहावलपुर के आतंकी मरकज को भारत ने किया तबाह, ऐसे चलता था आतंकियों का ट्रेनिंग कैंप

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    Operation Sindoor: बीकानेर के करीब इंटरनेशनल बॉर्डर से 104 किमी पाकिस्तान के अंदर मौजूद है कराची का तोरखम नेशनल हाई-वे नंबर 5. उस जगह को कराची मोड़ भी कहा जाता है. बहावलपुर के उसी बाहरी इलाके में मौजूद ये है आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सबसे बड़ा टेरर कैंप. नाम है मरकज सुभानअल्लाह. 15 एकड़ में फैला जैश का ये वो मरकज था, जिसमें एक साथ सैकड़ों नौजवानों को आतंकी ट्रेनिंग दी जाती थी.

    मरकज में मौजूद थे जैश के करीब 600 कैडर्स
    बहावलपुर के इसी मरकज सुभानल्लाह में जैश के चीफ मौलाना मसूद अजहर, उसके भाई अब्दुल रऊफ असगर, मौलाना अम्मार और उनके परिवारों के घर भी थे. मसूद अजहर अपना ज्यादातर वक्त इसी मरकज में बिताता था. जैश के इन आकाओं के अलावा इसी मरकज में जैश के करीब 600 कैडर्स के भी घर थे. जैश का चीफ इंस्ट्रक्टर मौलाना रफीकुल्लाह भी 2022 के बाद इसी मरकज में रहा करता था. ये मरकज 2015 में बन कर तैयार हुआ था. 

    मरकज के लिए खाड़ी देशों से जुटाया था चंदा
    इसको बनाने में पाकिस्तानी सरकार के अलावा जैश ने खाड़ी के देशों, कुछ अफ्रीकन देशों और पाकिस्तान के अंदर जुटाए गए चंदों से मदद ली थी. इस मरकज के अंदर जिम के अलावा स्वीमिंग पूल भी था। यहां तीरंदाजी की भी ट्रेनिंग दी जाती थी. 30 नवंबर 2024 को मौलाना मसूद अजहर ने आखिरी बार इस मरकज में जैश के कैडर को संबोधित किया था. उससे पहले वो यहां 2022 में आया था. 

    दूसरे नंबर पर आता था मरकज सुभानअल्लाह
    जैश के इस सबसे बड़े टेरर कैंप की पूरी जानकारी भारतीय खुफिया एजेंसी को पहले से थी. पहलगाम हमले के बाद जब नापाक ट्रेनिंग कैंपों की लिस्ट बनाई गई, तो उस लिस्ट में मरकज सुभानअल्लाह का नाम लश्कर के मुरीदके कैंप के बाद दूसरे नंबर पर था. ऑपरेशन सिंदूर के तहत सबसे मुश्किल टारगेट जैश का बहावलपुर में मौजूद यही कैंप था. क्योंकि इंटरनेशनल बॉर्डर से इसकी दूरी पाकिस्तान के अंदर 104 किमी थी. राफेल को मिसाइल से लैस किया जाता है. टारगेट लॉक होता है और इसके बाद सीधे फायर. रात के अंधेरे में निशाना अपना काम कर चुका था. बर्बादी का मंजर सुबह के उजाले ने दिखाया.

    खंडहर में तब्दील हो चुके दरो-दीवार
    ऑपरेशन सिंदूर के बाद जैश के सबसे बड़े आतंकी कैंप की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी थी. सबकुछ मटियामेट हो चुका था. अलबत्ता चारों तरफ बिखरे मलबे और खंडहर में तब्दील हो चुकी दरो-दीवार अब खुद को पूरी तरह ढाह देने की मानों फरियाद कर रही थी. मलबे के ढेर में अब भी बहुत सारी किताबें आतंक के मरकज के अंदर से झांक रही थी. इनमें से एक किताब पर लिखा था आपके मसायल और उनका हक. अब पता नहीं मौलाना मसूद अजहर आतंक के अपने इस कैंप में लोगों को कौन सी समस्या यानी मसायल और उसके कैसे हल की तालीम दे रहा था.

    मटियामेट हो गया आतंक का कैंप
    मरकज के अंदर जैश के आतंकवादियों के हर कमरे का कुछ ऐसा हाल था. टूटी दीवार और खुले किवाड़ के ऊपर कपड़े टंगे नजर आ रहे थे. आतंक का वो कैंप कुल मिलाकर इस वक्त खुद आतंक की तस्वीर नजर आ रहा था. अब मसूद अजहर के मटियामेट हो चुके उस आतंकी कैंप से बाहर बवाहलपुर में उस जगह की बात, जहां जहां कतार से जनाजे पड़े थे. उन जनाजों की गिनती पाकिस्तानी फौज की गिनती की चुगली खा रही थी. पाकिस्तान के इस दोहरे चरित्र की भी चुगली खा रही थी कि वो आतंक को नहीं पालता. ऑपरेशन सिंदूर के तहत मरकज में मौजूद जो आतंकवादी मारे गए, उनके जनाजे में बाकायदा पाकिस्तानी सेना के अफसर, जवान, रेंजर्स, पॉलिटडिशयन सभी बड़ी तादाद में शामिल हुए.

    हमले के दौरान मरकज में कौन-कौन था? 
    सबसे बड़ा सवाल ये था कि जब उस मरकज पर मिसाइल गिरा तब इसके अंदर कौन कौन मौजूद था? 7 की मई शाम का वो जनाजे ये इशारा दे रहे थे कि मरने वालों में कुछ खास लोग थे. इसी बीच बयान की शक्ल में सामने आए एक कागज ने भी इस बात की गवाही दी कि मरने वालों में कुछ तो खास था. ये बयान मसूद अजहर का बताया जा रहा था. उस बयान में मसूद अजहर कहता है कि मरकज पर हुए हमले के दौरान उसके 10 रिश्तेदार और चार साथी मारे गए. इसमें मसूद अजहर की बड़ी बहन, उसके पति, एक भांजा और उसकी पत्नी, एक भांजी, परिवार के पांच बच्चे, एक कजन और उसकी मां और दो साथी शामिल थे.

    भारत ने ढूंढ निकाला आतंकियों का सच
    उसी बयान के आखिर में ये लिखा था कि 7 मई की शाम 4 बजे बहावलपुर में जनाजे की नमाज अदा की जाएगी और बहावलपुर में 7 मई की ही शाम एक साथ कई जनाजों की नमाज पढ़ी गई. अब सवाल है कि क्या मरकज पर हुए हमले में मारे गए ज्यादातर लोग मसूद अजहर के करीबी ही थे? पाकिस्तान ने तो इन जनाजों की असलियत छुपा ली, लेकिन भारत ने आखिरकार जैश के सबसे बड़े टेरर कैंप मरकज सुभानअल्लाह में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए आतंकवादियों का सच ढूंढ ही निकाला. 

    मरने वाला पहला आतंकी मोहम्मद यूसुफ अजहर
    मरकज सुभानअल्लाह पर जब हमला हुआ तब उसके अंदर मसूद अजहर का एक बड़ा और छोटा साला भी मौजूद था. वे दोनों मारे गए. इनमें सबसे अहम था जैश के चीफ मसूद अजहर का छोटा साला मोहम्मद यूसुफ अजहर. आईसी 814 कांधार हाईजैकिंग के मास्टरमाइंड में से एक. पाकिस्तानी सेना के बडे़ अफसर और फैसलाबाद के डिप्टी कमिश्नर भी जैश के इस आतंकवादी के जनाजे में शामिल हुए थे.

    मरने वाला दूसरा आतंकी हाफिज मोहम्मद जमील
    मरकज सुभानअल्लाह में मारा गया जैश का दूसरा सबसे बड़ा आतंकवादी हाफिज मोहम्मद जमील था. जमील मसूद अजहर का बड़ा साला था. जमील ही जैश के टेरर कैंप के हेडक्वाटर यानि मरकज सुभानअल्लाह का इंचार्ज था. उसका काम नए रंगरुटों को ट्रेनिंग देना और कैंप से सरहद पार भेजना था. 

    मरने वाला तीसरा आतंकी मोहम्मद हसन खान
    मरकज सुभानअल्लाह में मारा गया जैश का तीसरा और मसूद अजहर का करीबी मोहम्मद हसन खान था. हसन खान पाक अधिकृत कश्मीर के जैश के ऑपरेशनल कमांडर मुफ्ती असगर खान कश्मीरी का बेटा था.

    मरने वाला चौथा आतंकी अबू जुंदाल
    जैश के अलावा ऑपरेशन सिंदूर में जो सबसे बड़ा आतंकवादी मारा गया, वो लश्कर के चीफ हाफिज सईद का राइट हैंड अबू जुंदाल था. साथ ही लश्कर के आतंक के हेडक्वार्टर मुरीदके में मौजूद मरकज ए तैय्यबा का इंचार्ज भी. अबू जुंदाल भारत में हुए लश्कर के अनगिनत हमलों का मास्टर माइंड था. लश्कर में उसकी क्या पोजिशन थी, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उसके जनाज़े पर पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर और पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम नवाज़ ने श्रद्धांजलि के फूल भेजे थे. 

    मरने वाला पांचवा आतंकी खालिद उर्फ अबू अकाशा
    ऑपरेशन सिंदूर में पांचवां जो सबसे बड़ा आतंकवादी ढेर हुआ, वो लश्कर का खालिद उर्फ अबू अकाशा था. जम्मू कश्मीर में लश्कर ने जितने भी आतंकवादी हमले किए, उनमें इसका हाथ था. खबरों के मुताबिक मरकज सुभानअल्लाह पर हुए हमले में मारे गए लोगों के जनाजे में शामिल होने के लिए खुद मसूद अजहर सामने नहीं आया. 

    पाक आर्मी ने मसूद अजहर को छुपाया
    सूत्रों का कहना है कि ऐसा उसने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और पाक सेना के कहने पर किया. जिन्होंने फिलहाल मसूद अजहर को कहीं गुप्त ठिकाने पर छुपा रखा है. फिलहाल मसूद अजहर को कहां रखा गया है, ये किसी को पता नहीं है. लेकिन एक खबर के मुताबिक मसूद अजहर इस वक्त रावलपिंडी में किसी गुप्त ठिकाने पर रह रहा है. यहां सवाल ये है कि आखिर एक घोषित इंटरनेशनल टेररिस्ट को पाकिस्तान क्यों गोद में बिठाए हुए है? आखिर मसूद अजहर पाकिस्तानी सेना या खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए इतना जरूरी क्यों है?

    घायल है मसूद अजहर का भाई अब्दुल रऊफ अजहर
    इस बीच खबर आई कि इस मरकज पर हुए हमले के दौरान मौलाना मसूद अजहर का भाई अब्दुल रऊफ अजहर गंभीर रूप से घायल हो गया. और इस वक्त अस्पताल में उसका इलाज चल रहा है. अब्दुल रऊफ अजहर उस आईसी 814 कांधार हाई जैकिंग के मास्टरमाइंड में से एक है, जिसके बदले में भारत सरकार को मसूद अजहर को छोड़न पड़ा था. कांधार हाई जैकिंग के अलावा भारत में जैश के कई बड़े आतंकी हमलों की साजिश में भी रऊफ अजहर का नाम सामने आ चुका है. रऊफ अजहर पर अमेरिकी जर्नलिस्ट डैनियल पर्ल को भी मारने का इल्जाम है. पर फिलहाल ये पुख्ता नहीं पाया है कि रऊफ सिर्फ गंभीर रूप से घायल है या उसकी मौत हो चुकी है? पाकिस्तानी सरकार या फौज ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद मसूद अजहर या उसके परिवार को लेकर अब तक कोई भी बयान नहीं दिया है.
     



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