अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में मुलाकात होनी है. ये मीटिंग भारतीय समयानुसार 15-16 अगस्त की दरमियानी रात करीब 1 बजे शुरू होगी. बैठक की शुरुआत ट्रंप और पुतिन के बीच दुभाषियों की मौजूदगी में वन-ऑन-वन बातचीत से होगी. इसके बाद दोनों देशों के प्रतिनिधिमंडलों के बीच वार्ता होगी, जो नाश्ते के दौरान जारी रहेगी.
रूस के प्रतिनिधिमंडल में विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, राष्ट्रपति के सलाहकार यूरी उशाकोव, रक्षामंत्री बेलोउसॉव, वित्त मंत्री सिलुआनोव और विशेष दूत दिमित्रिएव शामिल होंगे.
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए किसी समझौते पर पहुंचने के इरादे से शुक्रवार को अलास्का में होने वाली बैठक में आएंगे.
फ़ॉक्स रेडियो से बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि मुझे लगता है अब वह (पुतिन) आश्वस्त हैं कि वह एक डील करेंगे. वह डील करने जा रहे हैं. मुझे लगता है यह डीन होने वाली है, और मैं बहुत जल्दी इसका पता लगा लूंगा.
मीटिंग खराब रही तो क्या करेंगे ट्रंप?
व्हाइट हाउस ने इस बैठक को पहले सिर्फ एक ‘लिसनिंग एक्सरसाइज़’ बताते हुए उम्मीदें कम करने की कोशिश की थी, लेकिन ट्रंप ने इसे लेकर उम्मीदें बढ़ा दी हैं. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि उनका लक्ष्य यूक्रेन के राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ एक त्रिपक्षीय बैठक की ओर बढ़ना है. जिसमें तीन अलग-अलग लोकेशन पर चर्चा हो रही है. हालांकि ट्रंप ने स्पष्ट किया कि बैठक के नतीजे के आधार पर आगे कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा कि अगर मीटिंग खराब रही, तो मैं किसी को फोन नहीं करूंगा, सीधे घर चला जाऊंगा. लेकिन अगर यह अच्छी रही, तो मैं राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं को कॉल करूंगा.
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह बैठक में रूस को आर्थिक प्रोत्साहन देंगे, तो ट्रंप ने खुलासा करने से इनकार किया.उन्होंने कहा कि मैं सार्वजनिक तौर पर अपना पत्ता नहीं खोलना चाहता, लेकिन जो भी मेरे पत्ते हैं (आर्थिक प्रोत्साहन, और शायद कुछ हतोत्साहन भी) वह काफ़ी अहम हो सकते हैं.
भारत की प्रतिक्रिया
ट्रंप-पुतिन की मुलाकात को लेकर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली बैठक के लिए अमेरिका और रूस के बीच बनी सहमति का स्वागत करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी पहले भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि यह युद्ध का युग नहीं है. भारत आगामी शिखर सम्मेलन का समर्थन करता है.
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