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    भाजपा पांचवें नंबर पर, सपा का मनोबल बढ़ा गई ये जीत… यूपी की इस नगरपालिका चुनाव में कैसे बिगड़ा बीजेपी का खेल ?

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    यूपी के सीतापुर जिले की महमूदाबाद नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. चुनाव प्रचार के दौरान मंत्रियों व वरिष्ठ नेताओं की सक्रिय मौजूदगी के बावजूद भाजपा प्रत्याशी महज 1,352 वोटों पर सिमट गए और पांचवें स्थान पर रहे. कांग्रेस, निर्दलीयों और बागी उम्मीदवारों ने भी भाजपा को पीछे छोड़ दिया.

    समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रत्याशी आमिर अरफात ने 8,906 वोट पाकर जीत हासिल की. नतीजों के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया के माध्यम से भाजपा पर तंज कसते हुए कहा कि महमूदाबाद में उनकी पार्टी की यह जीत मनोबल बढ़ाने वाली है और भाजपा का पांचवें नंबर पर आना उत्तर प्रदेश की भविष्य की राजनीति का संकेत है.

    जिले के महमूदाबाद और मिश्रिख नगर पालिका परिषदों के अध्यक्षों के निधन के कारण इन दोनों जगह उपचुनाव कराए गए. महमूदाबाद सीट जिले की अहम और राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील मानी जाती है. यहां भाजपा ने पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और पूर्व सांसद राजेश वर्मा के करीबी संजय वर्मा को टिकट दिया. यह निर्णय शुरू से ही विवादों में रहा, क्योंकि पार्टी संगठन में लंबे समय से सक्रिय कई चेहरे प्रत्याशी चयन की दौड़ में थे, जिन्हें किनारे कर दिया गया.

    बागियों का असर भी खूब दिखा

    टिकट बंटवारे से नाराज दावेदारों में से अतुल वर्मा और अमरीश गुप्ता ने बगावत कर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान संभाल लिया. चुनाव परिणामों ने दिखा दिया कि जनता ने इन दोनों को भाजपा के आधिकारिक प्रत्याशी से ज्यादा समर्थन दिया. अतुल वर्मा और अमरीश गुप्ता क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जबकि भाजपा का आधिकारिक उम्मीदवार पूरी तरह पिछड़ गया. इस हार का एक कारण यह भी रहा कि चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा का लोकल संगठन विभाजित नजर आया. पार्टी के भीतर गुटबाजी, असल कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर चहेतों को आगे लाने की प्रवृत्ति और टिकट वितरण में असंतोष इन सबने नतीजों पर सीधा असर डाला.

    शासन-सत्ता के उपयोग के आरोप भी बेअसर

    चुनाव के दौरान भाजपा ने महमूदाबाद में पूरा जोर लगा दिया था. कई मंत्री और वरिष्ठ नेता यहां कैंप कर रहे थे. आरोप लगे कि प्रशासनिक दबाव, बूथ प्रबंधन और शक्ति प्रदर्शन जैसे हर हथकंडा अपनाने की कोशिश हुई. चुनाव के अंतिम चरणों में कुछ बूथों पर भाजपा नेताओं द्वारा विपक्षी कार्यकर्ताओं को डराने-धमकाने के वीडियो भी वायरल हुए. पुलिस प्रशासन की कथित भूमिका पर भी विपक्ष ने सवाल उठाया. इसके बावजूद, स्थानीय जनता ने भाजपा की अपील को ठुकरा दिया और सपा को स्पष्ट बहुमत दे दिया. नतीजा यह रहा कि भाजपा प्रत्याशी की जमानत तक जब्त हो गई.

    अखिलेश यादव का हमला

    परिणाम आने के बाद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि सीतापुर के महमूदाबाद नगर पालिका चुनाव में समाजवादी पार्टी की जीत मनोबल को बढ़ाने वाली है. भाजपा का 5वें नंबर पर आना उप्र की भविष्य की राजनीति का सूचक है. विजयी उम्मीदवार सहित समस्त पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को हार्दिक बधाई और अच्छा काम करने के लिए शुभकामनाएँ!

    महमूदाबाद की हार से भाजपा में मंथन

    महमूदाबाद में भाजपा की इस शर्मनाक हार के बाद पार्टी के स्थानीय बड़े नेताओं पर सवाल उठने लगे हैं. खासकर वे नेता, जो संगठन में सक्रिय कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर अपने करीबी चेहरों को टिकट दिलाने में लगे रहते हैं, निशाने पर हैं. यह हार बताती है कि जनता का भरोसा केवल सत्ता या पद के दम पर नहीं जीता जा सकता.

    मिश्रिख में भाजपा की जीत

    महमूदाबाद में हार के बावजूद, भाजपा ने मिश्रिख नगर पालिका में जीत दर्ज की. यह सीट भी खास मायने रखती है क्योंकि इसमें नैमिषारण्य जैसे प्रमुख धार्मिक स्थल का क्षेत्र शामिल है. अयोध्या लोकसभा चुनाव में झटका लगने के बाद भाजपा इस प्रतिष्ठित सीट को हर हाल में अपने पास रखना चाहती थी. यहां पार्टी ने स्थानीय विधायक रामकृष्ण भार्गव की बहू सीमा भार्गव को प्रत्याशी बनाया. सपा ने भी अपना उम्मीदवार उतारा, लेकिन वह अपेक्षाकृत नया और अनजान चेहरा था. चुनाव प्रचार के दौरान पूर्व मंत्री रामपाल राजवंशी और पूर्व विधायक अनूप गुप्ता का समर्थन मिलने के बावजूद, कुछ घटनाओं ने सपा का माहौल बिगाड़ दिया. चुनाव के दौरान कई वीडियो वायरल हुए, जिनमें सपा समर्थकों को पुलिस द्वारा सार्वजनिक तौर पर अपमानित किया गया. इससे सपा का कार्यकर्ता वर्ग खुलकर सक्रिय होने से हिचकिचाने लगा. हालांकि मतगणना के दौरान भी बेईमानी के आरोप लगे, लेकिन अंततः सीमा भार्गव ने 3,200 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की.

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